Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का स्तर अभी भी चिंताजनक, अप्रैल में टॉप-10 शहरों में रही शामिल
दिल्ली में तमाम प्रयासों के बावजूद वायु प्रदूषण का स्तर अभी भी चिंताजनक है। अप्रैल महीने में दिल्ली प्रदूषण के मामले में देश में पांचवें स्थान पर रही। यहां पीएम 2.5 का औसत स्तर सामान्य से अधिक दर्ज हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार देश के अधिकांश शहरों में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से ऊपर है। अप्रैल में प्रदूषण के मामले में दिल्ली पांचवें पायदान पर रही।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। तमाम उपायों के बावजूद दिल्ली में वायु प्रदूषण अभी भी तय मानकों से बहुत ज्यादा है। आलम यह है कि अप्रैल में भी राजधानी प्रदूषण के मामले में पांचवें पायदान पर रही है। अप्रैल में यहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 19 दर्ज किया रहा है। यह सामान्य स्तर से अधिक है। वहीं 80 प्रतिशत दिन प्रदूषण सामान्य स्तर पर रहा है। यह जानकारी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के अप्रैल माह की प्रदूषण विश्लेषण रिपोर्ट में सामने आई है।
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश के 273 शहरों में से 248 यानी 90 प्रतिशत में अब भी प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) मानकों से काफी अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार 248 शहरों में 227 में पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय मानकों पर खरा रहा।
वहीं महज सात शहरों में ये डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार रहा। मालूम हो कि राष्ट्रीय मानक में पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और एमजीसीएम और डब्ल्यूएचओ मानकों में यह 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर एमजीसीएम तक तय है।
बर्नीहाट बॉर्डर पर अप्रैल में सबसे अधिक प्रदूषण
बर्नीहाट (असम/मेघालय) बार्डर पर अप्रैल में भी सबसे अधिक प्रदूषित रहा। यहां पर औसत पीएम 2.5 का स्तर 119 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। बर्नीहाट में 13 दिन प्रदूषण बहुत खराब, छह दिन खराब, पांच दिन सामान्य और छह दिन संतोषजनक स्तर पर रहा। वहीं दिल्ली में औसत पीएम 2.5 का स्तर 77 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। यहां 16 दिन प्रदूषण सामान्य, नौ दिन खराब और पांच दिन संतोषजनक श्रेणी में रहा।
ये हैं देश के 10 सबसे प्रदूषित शहर
वहीं देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में सिवान, राजगीर, गाजियाबाद, गुरुग्राम, हाजीपुर, बागपत, औरंगाबाद और सासाराम शामिल हैं। इसमें बिहार के पांच, उत्तर प्रदेश के दो और असम, हरियाणा और दिल्ली का एक एक शहर शामिल है। रिपार्ट में यह भी स्पष्ट है कि इस साल के शुरूआती चार माह में प्रदूषण का स्तर इतना रहा है कि यदि अब बाकी के पूरे साल प्रदूषण पर अंकुश लग भी जाए तो भी यह सालाना औसत पर मानकों से अधिक ही रहेगा।
प्रदूषण मानकों की फिर से समीक्षा करने की जरूरत
सीआरईए के विश्लेषक मनोज कुमार का कहना है कि देश को इस समय अपने प्रदूषण मानकों की फिर से समीक्षा करने की जरूरत है। मौजूदा मानक दशक भर से पुराने हैं। मानकों का पुननिर्धारण करने से प्रदूषण के खिलाफ जंग में भी तेजी आएगी। डब्ल्यूएचओ ने भी कुछ साल पहले ही अपने मानकों में बदलाव किया है।
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