CBI की छापेमारी के बीच दिल्ली में गर्म हुआ सियासी माहौल, AAP के कई नेता और पार्षद BJP के संपर्क में
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बाद भी सियासी माहौल गर्म है। आप के कई नेता और पार्षद भाजपा के संपर्क में हैं जिससे निगम में भाजपा की स्थिति मजबूत हो सकती है। सौरभ भारद्वाज को प्रदेश संयोजक बनाने से कुछ नेता नाराज हैं और पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं। आने वाले महापौर चुनाव में इसका असर दिख सकता है।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद भी दिल्ली की राजनीति में आस्था बदलने व बदलवाने का प्रयास जारी है। आम आदमी पार्टी के कई नेता व पार्षद इन दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। शीघ्र ही इनमें से कई पार्षद भाजपा की सदस्यता लेंगे। इससे नगर निगम में भाजपा की स्थिति और मजबूत होगी। 25 अप्रैल को होने वाले महापौर चुनाव में इसका लाभ मिलेगा।
विधानसभा चुनाव से पहले आप के कई विधायक व पार्षद भाजपा में शामिल हो गए थे। उम्मीद थी कि चुनाव के बाद पार्टी में बगावत थम जाएगा, लेकिन स्थिति नहीं सुधर रही है। बताते हैं कि आप में संगठनात्मक फेरबदल के बाद नेताओं में असंतोष बढ़ा है।
भारद्वाज को प्रदेश संयोजक बनाये जाने से कई नेता नाराज
सौरभ भारद्वाज को प्रदेश संयोजक बनाये जाने से कई नेता नाराज हैं। वह पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। विधानसभा चुानव से पहले आप छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं के माध्यम से वह भाजपा सांसदों व विधायकों के साथ ही प्रदेश पदाधिकारियों से संपर्क साध रहे हैं।
भाजपा के एक नेता ने बताया कि दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों से आप नेता संपर्क कर रहे हैं। क्षेत्र में उनकी छवि और भाजपा में उपयोगिता को ध्यान में रखकर कोई भी निर्णय लिया जाएगा। पिछले दिनों इसे लेकर कुछ विधायकों के साथ प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक हुई जिसमें 15 पार्षदोें को पार्टी में शामिल करने पर सहमति बनी है।
अगले कुछ दिनों में कई नेता लेंगे BJP की सदस्यता
ग्रेटर कैलाश, महरौली, मालवीय नगर विधानसभा सहित दक्षिणी दिल्ली से छह, रोहिणी तीन, करोल बाग व पश्चिमी जोन से दो-दो और अन्य क्षेत्रों से दो और पार्षदों के आप छोड़ने की संभावना है। अगले कुछ दिनों में इन्हें पार्टी में शामिल किया जा सकता है। इससे 25 अप्रैल को होने वाले महापौर चुनाव से पहले निगम में पार्टी के पार्षदों की संख्या बढ़ेगी। इस समय निगम में कुल 238 पार्षद हैं। पार्षदों के सांसद व विधायक चुन लिए जाने के कारण 12 वार्ड खाली हैं।
नगर निगम चुनाव में 134 वार्डों में जीत प्राप्त करने वाली आप के पार्षदों की संख्या अब मात्र 113 रह गई है, क्योंकि कई भाजपा में शामिल हो गए। इससे 104 वार्ड जीतने वाली भाजपा के 117 पार्षद हो गए हैं। यदि आप के और पार्षद बगावत करते हैं तो उसकी स्थिति और कमजोर हो जाएगी।
आंकड़ों के हिसाब से महापौर चुनाव में भाजपा की स्थिति मजबूत
महापौर चुनाव में 238 पार्षदों के साथ ही 14 मनोनीत विधायक, 10 सांसद (सात लोकसभा सदस्य व तीन राज्य सभा सदस्य) मतदान करेंगे। बहुमत के लिए 132 वोट चाहिए। वर्तमान स्थिति में भाजपा के पास 117 निर्वाचित पार्षद, 11 मनोनीत विधायक व सात सांसद यानी 135 वोट हैं।
इसकी तुलना में आप के पास 113 निर्वाचित पार्षद, तीन मनोनीत विधायक और तीन राज्य सभा सदस्य यानी 119 वोट हैं। इसमें से भी राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल आप से नाराज चल रही हैं। कांग्रेस के आठ पार्षद हैं। यदि आप को कांग्रेस पार्षदों का भी साथ मिल जाए तो वह बहुमत का आंकड़ा प्राप्त करने की स्थिति में नहीं है। आने वाले दिनों में उसके आंकड़े और कम हो सकते हैं।
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