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    दिल्ली पुलिस के फिंगर प्रिंट ब्यूरो और बम स्क्वाड की यूनीफार्म पर होंगे अब नए प्रतीक चिह्न

    Updated: Fri, 20 Jun 2025 12:55 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने फिंगर प्रिंट ब्यूरो (एफपीबी) और बम निरोधक दस्ते (बीडीएस) के आधिकारिक प्रतीक चिह्नों का अनावरण किया। फिंगर प्रिंट ब्यूरो 1983 में स्थापित किया गया था और इसके पास 5 लाख से अधिक अपराधियों का डेटाबेस है। बम निरोधक दस्ता 2002 में गठित किया गया था और बम धमकी और संदिग्ध वस्तुओं से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहता है।

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    पुलिस आयुक्त ने किया एफपीबी और बीडीएस के आधिकारिक प्रतीक चिह्नों का अनावरण।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस मुख्यालय में आयोजित एक विशेष समारोह में दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने फिंगर प्रिंट ब्यूरो (एफपीबी) और बम निरोधक दस्ता (बीडीएस) के आधिकारिक प्रतीक चिह्नों का अनावरण किया।

    वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में इन प्रतिष्ठित इकाइयों के महत्व और योगदान को औपचारिक पहचान दी गई। अब ये प्रतीक चिह्न संबंधित इकाइयों की वर्दी, जैकेट और आधिकारिक पत्राचार पर अंकित किए जाएंगे।

    दिल्ली पुलिस की फिंगर प्रिंट ब्यूरो और बम निरोधक दस्ता, दोनों ही विशेष इकाइयां अपराध जांच और राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं।

    पांच लाख से अधिक अपराधियों का हैं डेटाबेस

    विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) देवेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, वर्ष 1983 में स्थापित यह ब्यूरो क्राइम ब्रांच के अंतर्गत काम करता है और इसके पास पांच लाख से अधिक अपराधियों का डेटाबेस है।

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    अपराध स्थलों से प्राप्त फिंगर प्रिंट्स को पाउडर, अल्ट्रावायलेट लाइट और अन्य आधुनिक तकनीकों की मदद से उठाकर डेटाबेस से मिलान किया जाता है।

    ब्यूरो एफपीआइएस, एनएएफआइएस और सीआरआइएस जैसे अत्याधुनिक साफ्टवेयर का उपयोग कर रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर लागू एनएएफआइएस प्रणाली की मदद से कई अपराधियों की पहचान कर गिरफ्तारी की जा चुकी है।

    2002 में गठित किया गया था बम स्क्वाड

    वर्ष 2002 में गठित यह दस्ता बम धमकी, संदिग्ध वस्तुओं और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में विस्फोटक सामग्री से निपटने के लिए लगातार मुस्तैद रहता है।

    बीडीएस और बीडीटी (बम पहचान टीम) 24x7 सतर्क रहते हुए वीवीआईपी दौरे, माल, बाजार और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की जांच व सैनिटाइजेशन का कार्य करती हैं।

    ये टीमें नवीनतम उपकरणों, मेटल डिटेक्टर, वेपर डिटेक्टर और डाग स्क्वाड की मदद से कार्य करती हैं। नियमित प्रशिक्षण के लिए एनएसजी, बीएसएफ, सीआरपीएफ और डीपीए के साथ इनका सहयोग होता है।

    विशेष पुलिस आयुक्त ने बताया कि दिल्ली पुलिस की इन विशेष इकाइयों ने न केवल अपराधियों की गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी लगातार योगदान दिया है।