अब दिल्ली पुलिस को मिलेगा ये अधिकार, अमित शाह के आदेश के बाद उपराज्यपाल ने लिया बड़ा फैसला
दिल्ली पुलिस अब थानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालतों में गवाही दे पाएगी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सभी थानों में गवाही के लिए स्थान निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले से पुलिस का अदालतों में लगने वाला समय बचेगा और कार्यप्रणाली में सुधार होगा। गृह मंत्री अमित शाह ने थानों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा केवल पुलिस अधिकारियों के लिए सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

जागरण संवाददता, नई दिल्ली। अब थाने से ही पुलिस अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालतों से जुड़कर गवाही दे सकेंगे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मंगलवार को सभी थानों को एक-एक निर्दिष्ट स्थान बनाने को कहा है, जहां पर उपस्थित होकर पुलिस अधिकारी गवाही दे सकेंगे।
नए कानून में तय प्रविधान के तहत ऐसी व्यवस्था बनाने का निर्णय लिया गया। सभी थानों में एक-एक कमरे बना दिए गए हैं जहां से ऑडियो और वीडियो मॉड में पुलिस अधिकारी गवाही देने के लिए अदालतों से जुड़ पाएंगे।
अगर किसी मामले में अदालत, पुलिस अधिकारी को कोर्ट में उपस्थित होकर गवाही देने का निर्देश जारी करेगी तब उस परिस्थिति में उन्हें अदालत में उपस्थित होना होगा अन्यथा वर्चुअल माध्यम से वे थाने से ही अदालती कार्यवाही में शामिल हो सकेंगे।
उपराज्यपाल के अधिसूचना के बाद दिल्ली पुलिस अब जल्द इसे अमल में लाएगी। इस फैसले से दिल्ली पुलिस का अदालतों में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा। उनकी कार्यप्रणाली में सुधार हो सकेगा और पुलिस अधिकारियों को यात्रा करने और अदालती कार्यवाही में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही देने से समय और संसाधन की काफी बचत होगी। यह सुधार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत वीडियो कांफ्रेंसिंग के ड्राफ्ट मॉडल नियमों के तहत किया गया है।
जिसमें पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही के लिए थानों में जगह निर्धारित करने की सिफारिश की गई थी। गृह मंत्री अमित शाह तीनों नए आपराधिक कानूनों के सुचारू कार्यान्वयन की देखरेख कर रहे हैं।
हाल ही में उन्होंने एक समीक्षा बैठक में पुलिस और अदालतों के बीच सुचारू कामकाज और उचित समन्वयसुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संख्या में वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधाएं स्थापित करने का निर्देश दिया था।
गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि किसी भी मामले में थानों पर वीडियो कॉफ्रेंसिंग सुविधा केवल पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के लिए ही होनी चाहिए। अन्य गवाहों की थानों से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही नहीं होनी चाहिए।
इसके बाद ही दिल्ली पुलिस ने सभी 226 थानों को निर्दिष्ट स्थान के रूप में अधिसूचित करने का अनुरोध किया, जिसके बाद यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार के गृह विभाग द्वारा उपराज्यपाल को भेजा गया था।
औसतन करीब 2000 पुलिस अधिकारी प्रतिदिन विभिन्न अदालतों में गवाही देते हैं, उन्हें गवाही देने अदालतों में जाना होता है। इससे पुलिसकर्मियों का अदालतों में पेशी में लगने वाले समय की बचत तो होगी ही, उनके कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता भी बढ़ेगी। अदालतों में भीड़भाड़ कम होगी।
पुलिसकर्मी, पुलिसिंग व अन्य मामलों की जांच में अधिक समय दे पाएंगे। इससे पहले साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा केवल हाइ्र कोर्ट, जिला न्यायालयों, जेलों, अस्पतालों, फोरेंसिक साइंस लैब व कुछ सरकारी कार्यालयों में ही उपलब्ध थी।
इनका इस्तेमाल वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा
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