स्पेशल सेल के बाद अब दिल्ली पुलिस बनाएगी मकोका यूनिट, गैंगस्टर्स की कमर तोड़ने की है तैयारी
दिल्ली पुलिस गैंगस्टरों पर शिकंजा कसने के लिए मकोका यूनिट का गठन करेगी। यह निर्णय हाल के वर्षों में गैंगस्टरों के बढ़ते आतंक को देखते हुए लिया गया है। मकोका यूनिट स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के साथ मिलकर दिल्ली हरियाणा राजस्थान और पंजाब के गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। जेलों से रंगदारी चलाने वालों पर भी नकेल कसी जाएगी।

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। गैंग्स्टरों पर सघन छापेमारी की कार्रवाई के बाद अब दिल्ली पुलिस इनके खिलाफ पुख्ता कदम उठाने जा रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व पंजाब आदि राज्योें के गैंग्स्टरों पर नकेल कसने के लिए दिल्ली पुलिस में स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच की तर्ज पर मकोका यूनिट भी बनाने की कवायद शुरू हो गई है।
हाई लेवल की मीटिंग में हुआ तय
उच्च स्तर पर अधिकारियों के बीच बैठक हो चुकी है। हाल के वर्षों में जिस तरह से गैंग्स्टरों के आतंक तेजी से बढ़े हैं, उसे देखते हुए इसकी तैयारी की जा रही है। हालांकि, स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच संगठित अपराध से जुड़े बदमाशों के विरुद्ध समय-समय पर मकोका लगाने की कार्रवाई तो कर ही रही है। हालांकि, मकोका यूनिट बना दी जाए तब अधिक प्रभावी तरीके से गैंग्स्टरों पर कार्रवाई की जा सकेगी।
जेलों से भी वे रंगदारी रैकेट चला रहे
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि करीब दो दशक पहले दिल्ली में किशन पहलवान, नीतू दाबोदिया, अशोक प्रधान आदि कुछ गिने-चुने ही बड़े बदमाश होते थे। उस वक्त रंगदारी व संगठित अपराध इतने नहीं थे। आज दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के करीब 100 से अधिक बड़े गैंग्स्टर सक्रिय हैं। इनके गिरोह देश व विदेश से लोगों को काल कर रंगदारी मांग रहे हैं। बड़ी संख्या में गैंग्स्टर दिल्ली व पड़ोसी राज्यों के जेलों में बंद हैं। जेलों से भी वे रंगदारी रैकेट चला रहे हैं। राजधानी में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिनमें गैंग्स्टर व पुलिस के गठजोड़ का मामला सामने आया। इन्हीं सब कारणों से दिल्ली पुलिस में मकोका यूनिट बनाए जाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
मकोका महाराष्ट्र और दिल्ली में ही लागू
बता दें कि मुंबई में अंडरवर्ल्ड द्वारा चलाए जा रहे संगठित अपराध को खत्म करने के लिए महाराष्ट्र सरकार 1999 में मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल आफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) कानून लेकर लाई थी। इसका मुख्य मकसद संगठित और अंडरवर्ल्ड के अपराध को खत्म करना था। मुंबई को देखते हुए तीन साल बाद यानी 2002 में दिल्ली में भी मकोका कानून लाया गया। मकोका कानून अब तक केवल महाराष्ट्र और दिल्ली में ही लागू है।
किन मामलों में लगता है मकोका
इस कानून के तहत जबरन वसूली, ड्रग्स व हथियार तस्करी, फिरौती के लिए अपहरण, सुपारी लेकर हत्या आदि कोई भी गैरकानूनी काम जिससे बड़े पैमाने पर पैसे बनाए जाते हैं, मामले शामिल हैं। संगठित अपराध करने वाले ग्रुुप से जुड़ने या अपराध करने वाले अपराधियों पर मकोका लगाने के बाद आरोपितों को आसानी से जमानत नहीं मिलती है। किसी के खिलाफ मकोका लगाने के लिए एडिशनल पुलिस कमिश्नर रैंक के अधिकारी से मंजूरी लेनी होती है। मकोका उसी पर लगाया जा सकता है जो 10 साल के दौरान कम से कम दो संगठित अपराध में शामिल रहा हो।
हाल के दिनों में गैंग्स्टरों पर की गई कार्रवाई
- 15 सितंबर की रात दिल्ली व हरियाणा में कपिल सांगवान व विक्की टक्कर गिरोहों के 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी। 26 संदिग्ध हिरासत में लिए गए। इस गिरोह के नौ सदस्यों पर मकोका लगा दिया है। इनमें आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक नरेश बाल्यान भी शामिल हैं।
- 18 सितंबर काे सात बड़े गैंग्स्टरों के दिल्ली, सोनीपत, सांपला, झज्जर, रोहतक व बहादुरगढ़ में आठ घंटे तक छापेमारी। 58 पुलिस टीमों ने यह कार्रवाई की। सात को गिरफ्तार किया। इन पर भी पुलिस जल्द मकोका लगाएगी।
- 20 सितंबर को उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस ने 39 ठिकानें पर छापेमारी कर पांच बदमाशों को गिरफ्तार किया। 350 पुलिसकर्मियों ने यह कार्रवाई की थी।
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