दिल्ली पुलिस दोगुना करने जा रही है अपना K-9 स्क्वाड, सर्च एंड रेस्क्यू और काॅम्बैट असाॅल्ट कैटेगरी भी जुड़ेगी
दिल्ली पुलिस अपने डॉग स्क्वाड को मजबूत कर रही है ताकि अपराध स्थल पर गंध सूंघकर अपराधियों तक पहुंचा जा सके। वर्तमान में 64 डॉग हैं जिनकी संख्या बढ़ाकर 136 की जाएगी। इन डॉग्स को विस्फोटक डिटेक्शन ट्रैकिंग और नार्कोटिक्स डिटेक्शन जैसे कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। हाल ही में एक ट्रैकर श्वान ने हत्या का मामला सुलझाया था। हैंडलर उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जागरण, नई दिल्ली। तकनीक के इस्तेमाल से अपराध के मामले सुलझाने वाली दिल्ली पुलिस को भी कई बार सुबूत न छोड़ने वाले अपराधी को पकड़ने में मुश्किल पेश आती है। इससे निपटने के लिए पुलिस अपने डाॅग स्क्वाड को मजबूत कर रही है।
दिल्ली पुलिस डाॅग स्क्वाड की क्षमता को दोगुना से अधिक करने जा रही है। हत्या व चोरी समेत कई आपराधिक मामलों में अपराधी मौके पर कुछ साक्ष्य छोड़ जाते हैं, जिनके जरिये डाॅग स्क्वाड अपराधी को पकड़ सकता है।
अभी दिल्ली पुलिस के डाॅग स्क्वाड के पास 64 अलग-अलग नस्ल के कुत्ते हैं, जिनमें तीन ही ट्रैकर डॉग हैं, जो घटनास्थल से साक्ष्यों को सूंघकर हत्या व चोरी जैसे मामलों में पुलिस की मदद कर रहे हैं।
अब 72 अलग-अलग नस्लों के जो डॉग खरीदे जा रहे हैं, उनमें पुलिस विभाग ने सबसे अधिक को ट्रैकर का प्रशिक्षण देने का निर्णय किया है। 1968 में एक छोटे से यूनिट के रूप में शुरू हुआ डाॅग स्क्वाड आज यह बल का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसे के-9 स्क्वाड के नाम से भी जाना जाता है।
डाॅग स्क्वाड में 64 डॉग और 111 हैंडलर (ट्रेनर) हैं। 72 और डॉग लेने का जो प्रस्ताव है, उससे स्क्वाड की संख्या बढ़ाकर 136 हो जाएगी।
उसके बाद हर जिले में पांच विशेष श्रेणी के डाॅग स्क्वाड (विस्फोटक डिटेक्शन, ट्रैकर, नार्कोटिक्स, सर्च एंड रेस्क्यू और काम्बैट असाल्ट) तैनात कर दिए जाएंगे। उसके बाद ट्रेनरों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले 34 पपीज और 13 प्रशिक्षित डॉग स्क्वाड में शामिल किए गए।
विशेषज्ञता और नस्लें
डाॅग स्क्वाड को कई श्रेणियों में बांटा गया है। हर श्रेणी के श्वानों को विशेष कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
- विस्फोटक डिटेक्शन : 58 डॉग इस श्रेणी में हैं जो संवेदनशील स्थानों और बड़े आयोजनों में विस्फोटक सूंघकर खतरे का पता लगाते हैं।
- ट्रैकर : तीन ट्रैकर डॉग हैं जो अपराध स्थल पर गंध सूंघकर अपराधियों का पीछा करने में मदद करते हैं।
- नार्कोटिक्स डिटेक्शन : तीन डॉग मादक पदार्थ से संबंधित अपराधों की रोकथाम में सहायता करते हैं।
इन नस्लों के हैं डाॅग
- जर्मन शेफर्ड: 16 डॉग (विस्फोटक डिटेक्शन)
- गोल्डन रिट्रीवर: 9 डाॅग (विस्फोटक डिटेक्शन)
- लैब्राडोर: 22 डाॅग (19 विस्फोटक डिटेक्शन, तीन ट्रैकर)
- बेल्जियन मेलिनाय: 17 डॉग (14 विस्फोटक डिटेक्शन, तीन नार्कोटिक्स डिटेक्शन)
भविष्य में स्क्वाड में नई श्रेणियां जोड़ी जाएंगी
सर्च एंड रेस्क्यू और काॅम्बैट असाॅल्ट की श्रेणियों को जल्द ही जोड़ा जाएगा।
श्वान को खरीदने और प्रशिक्षित की प्रक्रिया
- प्रशिक्षित श्वान भारतीय सेना की रिमाउंट वेटरनरी कर्प्स ,मेरठ से खरीदे जाते हैं।
- पपीज सरकारी ई-मार्केटप्लेस से खरीदे जाते हैं और बाद में प्रशिक्षित किए जाते हैं।
- दिल्ली पुलिस के पास खुद का प्रशिक्षण केंद्र नहीं है। इसलिए डॉग को बीएसएफ टेकनपुर, आईटीबीपी पंचकुला, एसएसबी (अलवर, राजस्थान) और सीआरपीएफ बेंगलुरु में प्रशिक्षण दिलाया जाता है।
उपलब्धियां
- 2019 की आल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट में ट्रैकिंग और विस्फोटक डिटेक्शन में उत्कृष्टता के लिए गोल्ड मेडल और ब्रांन्ज मेडल मिला।
- हाल ही में पुलिस के एक ट्रैकर श्वान ने हत्या का मामला सुलझाया, जहां उसने अपराध स्थल पर मिले एक मफलर से आरोपित तक पहुंच बनाई।
ये होती है डॉग हैंडलर की भूमिका
डॉग के हैंडलर उनकी सफलता के केंद्र में होते हैं, जो देखभाल करने वाले और प्रशिक्षक दोनों की भूमिका निभाते हैं। उनकी जिम्मेदारियों में दैनिक देखभाल जैसे खाना खिलाना और संवारना, लगातार प्रशिक्षण जैसे डिटेक्शन या आज्ञाकारिता और श्वान के साथ मजबूत बंधन बनाना शामिल है, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि डॉग मानसिक और शारीरिक रूप से परिचालन कार्यों के लिए तैयार है।
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