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    पुलिस के रिकॉर्ड में दो साल तक जिंदा रही सिपाही मोनिका, जांच से जुड़े पुलिसकर्मियों पर हो सकती है कार्रवाई

    By Rakesh Kumar SinghEdited By: Nitin Yadav
    Updated: Mon, 02 Oct 2023 03:27 PM (IST)

    पेशेवर तरीके से छाेटे से बड़े मामले की जांच करने का दावा करने वाली दिल्ली पुलिस को अपनी ही महिला सिपाही मोनिका की हत्या के राज से पर्दा उठाने में दो साल लग गए। जिस सिपाही की हत्या कर उसके शव को आरोपित दिल्ली पुलिस के हवलदार सुरेंद्र सिंह ने अलीपुर पुश्ता स्थित नाले में पत्थर के नीचे दबा दिया था।

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    पुलिस के रिकॉर्ड में दो साल तक जिंदा थी सिपाही मोनिका।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पेशेवर तरीके से छाेटे से बड़े मामले की जांच करने का दावा करने वाली दिल्ली पुलिस को अपनी ही महिला सिपाही मोनिका की हत्या के राज से पर्दा उठाने में दो साल लग गए। जिस सिपाही की हत्या कर उसके शव को आरोपित दिल्ली पुलिस के हवलदार सुरेंद्र सिंह ने अलीपुर पुश्ता स्थित नाले में पत्थर के नीचे दबा दिया था।

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    पुलिस रिकॉर्ड में जिंदा थी मृत महिला सिपाही

    लापरवाह रवैये का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुखर्जी नगर थाना पुलिस ने एक साल तक गुमशुदगी की रिपोर्ट को अपहरण में बदला ही नहीं। पुलिस आयुक्त तक शिकायत पहुंचने पर पिछले साल अप्रैल में गुमशुदगी की रिपोर्ट को अपहरण की धारा में बदल तो दिया गया, लेकिन कार्रवाई तब भी नहीं की गई। बीते जुलाई में जांच अपराध शाखा को सौंपने के बाद हत्या के राज का पर्दाफाश किया जा सका। साथ ही पुलिस के रिकॉर्ड में मृत महिला सिपाही दो साल तक जिंदा थी। 

    पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल

    इस मामले ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। पुलिस मुख्यालय सूत्रों की मानें तो केस खुलने के बाद अब जांच से जुड़े लापरवाह पुलिसकर्मियों व तत्कालीन पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई किया जाना तय है। अधकारी का कहना है कि गुमशुदगी के मामले में थाना पुलिस लड़की के बालिग हाेने का पता चलने पर जांच करने से बचती है। मोनिका केस में यही हुआ। जिस नंबर से माेनिका के स्वजन को काल कर दो सालों तक उसके जिंदा होने की बात बता गुमराह किया जाता रहा। उक्त नंबर का पता लगाने पर केस दो साल पहले खुल सकता था।

    यह भी पढ़ें: Delhi: महिला सिपाही की हत्या, नाले में कंकाल... और एक कॉलगर्ल, कैसे दो साल तक आरोपी हवलदार ने छिपाए रखा ये राज

    पीसीआर यूनिट में तैनात थी महिला सिपाही 

    2018 में बुलंदशहर की रहने वाली सिपाही मोनिका, जब दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट में तैनात थी। तब उसी यूनिट में काम करने वाले झज्जर निवासी हवलदार सुरेंद्र सिंह से उसका परिचय हुआ था। धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आ गए।

    2020 में मोनिका का यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर में हो गया तब उसने सिपाही से इस्तीफा दे दिया लेकिन मुखर्जी नगर के एक पीजी में रहकर वह सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी करने लगी। सुरेंद्र अक्सर माेनिका के पास आता जाता था यहां तक वह मोनिका के गांव में भी हर कार्यक्रम में शामिल होने जाता था। सुरेंद्र पहले से शादीशुदा है लेकिन मोनिका को उसने अविवाहित होने की बात बताई थी। माडल टाउन पुलिस कालोनी में सुरेंद्र परिवार के साथ रहता है।

    घुमाने के ले जाने के बहाने की हत्या: पुलिस

    आठ सितंबर 2021 को घुमाने के बहाने सुरेंद्र, माेनिका को लेकर अलीपुर गया। वहां उसने मोनिका पर शादी के लिए दबाव बनाया। तैयार न होने पर उसने कार के अंदर ही माेनिका का गला घोंट हत्या कर दी गई और शव को पुश्ता के पास सुनसान जगह पर नाले में फेंक दिया।

    शव को कई पत्थर से दबा दिए गए ताकि बह कर कहीं और चला न जाए जिससे शव मिलने पर हत्या का भेद खुल जाए। हत्या के बाद सुरेंद्र ने मोनिका का मोबाइल अपने पास रख लिया ताकि उससे कोई सुबूत न मिल पाए। उधर करीब एक माह तक सुरेंद्र, मोनिका के स्वजन के साथ मिलकर उसे ढूंढने का नाटक करता रहा। 20 अक्टूबर 2021 को मुखर्जी नगर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई।

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