जान पर खेलकर बदमाशाें को पकड़ती है दिल्ली पुलिस, लेकिन इस साल भी नहीं मिल पाया वीरता पुरस्कार; सामने आई ये वजह
दिल्ली पुलिस के आईपीएस और पुलिसकर्मी इस बार वीरता पुरस्कार से वंचित रह गए। हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त को वीरता पुरस्कार दिए जाते हैं जिसमें वेतन के साथ अतिरिक्त लाभ भी मिलते हैं। स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच जैसे यूनिटों के कर्मियों को अक्सर यह पुरस्कार मिलता था। पिछले कुछ समय से अधिकारियों की उदासीनता के कारण किसी को भी यह पुरस्कार नहीं मिल पा रहा है।

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस में तैनात आइपीएस और पुलिसकर्मी इस बार भी वीरता पुरस्कार पाने से वंचित रह गए। एक भी आईपीएस और पुलिसकर्मी को वीरता पुरस्कार नहीं मिल पाया, जबकि आए दिन दिल्ली पुलिस मुठभेड़ कर जान पर खेलकर बदमाशाें को पकड़ने का काम करती है।
यह पहला मौका है जब देश की सबसे पेशेवर मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस कुछ आला अधिकारियों की उदासीनता के कारण इस बार भी यह पुरस्कार को पाने से वंचित रह गए। पिछले तीन मौके से ऐसा देखा जा रहा है कि न तो किसी आईपीएस और न ही पुलिसकर्मी को यह पुरस्कार मिल पा रहा है।
साहसिक कार्यों के लिए हर साल 26 जनवरी व 15 अगस्त इन दो मौके पर आइपीएस से लेकर पुलिसकर्मियों को वीरता पुरस्कार के लिए नामों का चयन किया जाता है। इस पुरस्कार के तहत हर माह वेतन के साथ अतिरिक्त दो हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा हवाई जहाज और रेल टिकटों में भी रियायत मिलती है और सरकारी मेडिकल व इंजीनियरिंग आदि कालेजों में बच्चों का दाखिला करवाने पर आरक्षण मिलता है।
किसी रेड अथवा अन्य घटनाओं में जान जोखिम में डालकर साहसिक काम करने वाले आइपीएस व पुलिसकर्मियों को यह पुरस्कार दिया जाता है, लेकिन पिछले तीन बार से इस पुरस्कार के लिए किसी के नाम का चयन नहीं करने से पुलिसकर्मियों में गहरा असंतोष है।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि अद्ध््र सैनिक बलों, अग्निशमन विभाग व राज्यों की पुलिस की कोशिश रहती है कि उनके अधिकारियों और कर्मियों को अधिक से अधिक गैलेंट्री मेडल (वीरता पुरस्कार) मिले। इससे फोर्स का मनोबल बढ़ता है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल मुख्य रूप से आतंकियों व गैंग्सटरों पर अंकुश लगाने का काम करती है।
क्राइम ब्रांच भी दिल्ली पुलिस की विशेष यूनिट है। इन दोनों यूनिटों में तैनात कई आइपीएस, एसीपी व इंस्पेक्टर के अलावा निचले सभी रैंक के कर्मियों को साहसिक कार्य करने पर वीरता पुरस्कार मिलता रहा है। इन दोनों यूनिटों में तैनात एसीपी, इंस्पेक्टर व निचले रैंक के कर्मी आए दिन दिल्ली एनसीआर समेत देश भर में जाकर बड़े-बड़े आपरेशन करते हैं।
अपनी जान जोखिम में डाल इन यूनिटों में तैनात कर्मी आतंकियों, बदमाशों व अन्य को पकड़ने का काम करते हैं। इसके अलावा जिला पुलिस व अन्य यूनिटों के भी कर्मियों को यह पुरस्कार मिलता था। वीरता पुरस्कार के लिए केंद्र सरकार की ओर से कोई पाबंदी नहीं है कि किसी कर्मी को अपने सर्विस में एक निर्धारित संख्या तक वीरता पुरस्कार दिया जाए।
एक कर्मी को कितनी भी बार यह पुरस्कार मिल सकता है। साल में दो बार इस पुरस्कार की घोषणा की जाती है। हर साल स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच समेत जिले व अन्य यूनिटों से अधिकारियों व कर्मियों के नाम का चयन कर यूनिटों व जिले के डीसीपी प्रस्तावित फाइलें पुलिस मुख्यालय को भेजते थे।
मुख्यालय में पुलिस आयुक्त द्वारा गठित कमेटी के सदस्य प्रस्तावित नामों का चयन करते थे और तब फाइलों को गृह मंत्रालय भेज दिया जाता था। जनवरी 2024 से इस पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। कुछ अधिकारी जानबूझ कर तीन बार फाइलों को दबाए रहे। दैनिक जागरण ने पिछले हफ्ते इस मुद्दे को उठाया था।
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