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    पिंक बूथ पड़ताल-2: दिखावा साबित हो रहे पिंक बूथ, ना पिंक हेलमेट और ना ही स्कूटी; दरवाजों पर भी लटका रहता है ताला

    Updated: Tue, 17 Oct 2023 03:53 PM (IST)

    Delhi News दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने व उनकी समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली पुलिस के पिंक बूथ महज दिखावा साबित हो रहा है। उत्तर पश्चिम जिले के अधिकतर पिंक बूथ खस्ताहाल तो कुछ ऐसा ही है। जिले के पीतमपुरा के मौर्य एनक्लेव थाना के पिंक बूथ पर सुबह 1144 बजे ताला लगा हुआ पाया गया।

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    पिंक बूथ पड़ताल-2: दिखावा साबित हो रहे पिंक बूथ।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने व उनकी समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली पुलिस के पिंक बूथ महज दिखावा साबित हो रहा है। उत्तर पश्चिम जिले के अधिकतर पिंक बूथ खस्ताहाल तो कुछ ऐसा ही है।

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    जागरण ने जब जिले के पिंक बूथ की पड़ताल की तो इसमें से अधिकतर पिंक बूथ पर ताला लगा हुआ पाया। करीब डेढ़ वर्ष पहले खोले गए इस पिंक बूथ को खोले जाने का मकसद महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराना था लेकिन यह केवल औपचारिकता तक ही सीमित रह गई है।

    उत्तर-पश्चिम जिले में 13, रोहिणी में सात और बाहरी उत्तरी में पांच पिंक बूथ होने की जानकारी है। दिन में ही इन बूथों पर ताला रहता है तो रात का तो क्या ही कहना..।। दावे तो कई सुविधाओं के किए गए थे लेकिन हकीकत में वह पूरा होते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं..।

    जिले के पीतमपुरा के मौर्य एनक्लेव थाना के पिंक बूथ पर सुबह 11:44 बजे ताला लगा हुआ पाया गया। यहां की दीवारों पर संपर्क के लिए कुछ पुलिसकर्मियों के नंबर को चस्पा किया गया था लेकिन वहां कोई भी पुलिसकर्मी किसी की मदद के लिए मौजूद नहीं था। स्थानीय लोगों के अनुसार भी यहां हमेशा ताला लगा रहता है।

    वहीं, जब नेताजी सुभाष प्लेस थाना के अंतर्गत आने वाले पिंक बूथ को सुबह 11:57 पर देखा तो पाया कि वहां एक कर्मी सफाई में लगा हुआ है और उसने बताया कि वह हर दिन सफाई के बाद बूथ पर ताला लगाकर चला जाता है। किसी महिला के शिकायत लेकर यहां आने पर उसे डी-माल पुलिस थाने भेज दिया जाता है।

    इसके बाद शालीमार बाग थाना के पिंक बूथ का जायजा लिया तो पाया कि वहां भी ताला लगा है। दोपहर 12:15 बजे इस बूथ पर किसी प्रकार की कोई गतिविधि नहीं थी। आसपास के लोगों ने बताया कि यहां दिन-रात ताला लगा रहता है।

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    न पिंक स्कूटी है और न पिंक हेलमेट

    इन बूथों में पुलिसकर्मियों के अलावा शिकायतकर्ता महिलाओं के बैठने के लिए कुर्सियां, शिकायत दर्ज करने के लिए कंप्यूटर सिस्टम के साथ साथ पीने के पानी की व्यवस्था की गई थी। महिला पुलिसकर्मियों को मुहैया कराई गई स्कूटी व उनके हेलमेट के रंग को भी पिंक कर दिया गया था।

    यह दावा किया गया था कि पिंक बूथों में 24 घंटे एक न एक महिला कर्मी की तैनाती रहेगी, लेकिन अब यहां सुविधाएं तो दूर ज्यादातर पर बूथों पर ताला लगा रहता है। ऐसे में महिलाओं को निराश होकर लौटना पड़ता है।

    पिंक बूथ खोलने का मकसद

    महिलाओं को छेड़खानी जैसी शिकायतों के लिए पुलिस थाने जाने में हिचक न हो इसके लिए पिंक बूथ खोला गया था। ऐसी शिकायतों को लेकर महिलाएं व बुजुर्ग महिला नजदीक के पिंक बूथों में जाकर खुल कर अपनी परेशानी को महिला पुलिसकर्मी से साझा करें और उसका तुरंत समाधान किया जाए।

    महिलाओं को कहीं दूर न जाना पड़े और उन्हें सुरक्षित महसूस कराने के लिए पिंक बूथ खोला गया था। पिंक बूथों में केवल महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती के दावे किए गए थे लेकिन असलियत में ऐसा नहीं है।

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