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    दो साल से पुलिसकर्मियों को नहीं मिल पाया वीरता पुरस्कार, मिलती है कई तरह की सुविधाएं

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 10:00 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस में पिछले दो सालों से वीरता पुरस्कार पर रोक लगी हुई है जिससे पुलिसकर्मियों में असंतोष है। यह पुरस्कार साहसिक कार्यों के लिए 26 जनवरी और 15 अगस्त को दिया जाता है जिसमें वेतन के साथ अतिरिक्त दो हजार रुपये हवाई और रेल टिकटों में छूट तथा बच्चों के दाखिले में आरक्षण जैसे लाभ शामिल हैं। क्राइम ब्रांच के कर्मियों को अक्सर यह पुरस्कार मिलता रहा है।

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    दो साल से पुलिसकर्मियों को नहीं मिल पाया वीरता पुरस्कार।

    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस में तैनात आइपीएस और पुलिसकर्मियों को पिछले दो साल से वीरता पुरस्कार नहीं मिल पाया है। साहसिक कार्यों के लिए हर साल 26 जनवरी व 15 अगस्त इन दो मौके पर आइपीएस से लेकर पुलिसकर्मियों को वीरता पुरस्कार दिया जाता है।

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    इस पुरस्कार के तहत हर माह वेतन के साथ अतिरिक्त दो हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा हवाई जहाज और रेल टिकटों में भी रियायत मिलती है और सरकारी मेडिकल व इंजीनियरिंग आदि कालेजों में बच्चों का दाखिला करवाने पर आरक्षण मिलता है।

    किसी रेड अथवा अन्य घटनाओं में जान जोखिम में डालकर साहसिक काम करने वाले आइपीएस व पुलिसकर्मियों को वीरता पुरस्कार दिया जाता है, लेकिन दो साल से दिल्ली पुलिस में इस प्रक्रिया पर रोक लगने से पुलिसकर्मियों में गहरा असंतोष है।

    पुलिस अधिकारी का कहना है कि अद्ध््र सैनिक बलों, अग्निशमन विभाग व राज्यों की पुलिस की कोशिश रहती है कि उनके अधिकारियों और कर्मियों को अधिक से अधिक गैलेंट्री मेडल (वीरता पुरस्कार) मिले। इससे फोर्स का मनोबल बढ़ता है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल मुख्य रूप से आतंकियों व गैंग्सटरों पर अंकुश लगाने का काम करती है।

    क्राइम ब्रांच भी दिल्ली पुलिस की विशेष यूनिट है। इन दोनों यूनिटों में तैनात कई आइपीएस, एसीपी व इंस्पेक्टर के अलावा निचले सभी रैंक के कर्मियों को साहसिक कार्य करने पर वीरता पुरस्कार मिलता रहा है। इन दोनों यूनिटों में तैनात एसीपी, इंस्पेक्टर व निचले रैंक के कर्मी आए दिन दिल्ली एनसीआर समेत देश भर में जाकर बड़े-बड़े आपरेशन करते हैं।

    अपनी जान जोखिम में डाल इन यूनिटों में तैनात कर्मी आतंकियों, बदमाशों व अन्य को पकड़ने का काम करते हैं। इसके अलावा जिला पुलिस व अन्य यूनिटों के भी कर्मियों को यह पुरस्कार मिलता था। वीरता पुरस्कार के लिए केंद्र सरकार की ओर से कोई पाबंदी नहीं है कि किसी कर्मी को अपने सर्विस में एक निर्धारित संख्या तक वीरता पुरस्कार दिया जाए।

    एक कर्मी को कितनी भी बार यह पुरस्कार मिल सकता है। साल में दो बार इस पुरस्कार की घोषणा की जाती है। हर साल स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच समेत जिले व अन्य यूनिटों से अधिकारियों व कर्मियों के नाम का चयन कर यूनिटों व जिले के डीसीपी प्रस्तावित फाइलें पुलिस मुख्यालय को भेजते थे। मुख्यालय में पुलिस आयुक्त कमेटी का गठन करते थे।

    आयुक्त पर निर्भर करता है कि वे किस-किस रैंक के और कितने आइपीएस को कमेटी का सदस्य बनाएं। इसके बाद कमेटी के सदस्य प्रस्तावित नामों का चयन करते थे। मुख्यालय स्तर पर नामों का चयन करने के बाद फाइलों को गृह मंत्रालय भेज दिया जाता है। हर साल 15 अगस्त व 26 जनवरी से कुछ माह पहले प्रस्तावित नामों की फाइलें गृह मंत्रालय में भेज दी जाती है।

    दिल्ली पुलिस से जनवरी 2024 से गैलेंट्री अवार्ड के लिए न तो मुख्यालय में कमेटी बनी न बैठक हुई और न ही नामों को गृह मंत्रालय में भेजा गया। कुछ अधिकारी जानबूझ कर फाइलों को दबाए रहे। जबकि मेरिटोरियस सर्विस की फाइलें गृह मंत्रालय को भेजी जाती रही। यह अवार्ड मुख्यरूप से आइपीएस और उनके कार्यालयों में तैनात बाबुओं को ही मिल पाता है। इसमें केवल बैच मिलता है जिसे अधिकारी अपनी वर्दी पर लगाते हैं।