Delhi Police Commissioner: नए पुलिस कमिश्नर के सामने क्या होंगी चुनौतियां? चौंका देंगे ये मामले
पिछले तीन वर्षों में दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ा है जिससे पुलिस की छवि धूमिल हुई है। नए पुलिस आयुक्त एसबीके सिंह के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना एक बड़ी चुनौती है। थानाध्यक्षों का कार्यकाल तय होने स्पेशल सेल में गुटबाजी और जांबाज अफसरों को हटाने से समस्याएं बढ़ी हैं। नए आयुक्त को इन मुद्दों पर ध्यान देना होगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पिछले तीन साल में दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार काफी तेजी से पनपा। आए दिन दिल्ली के थानों व यूनिटों में सीबीआई और दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट के छापे पड़ते रहे। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार होने पर दिल्ली पुलिस की छवि धूमिल होती रही।
नए पुलिस आयुक्त एसबीके सिंह के लिए इस पर अंकुश लगाना बड़ी चुनौती होगी। भ्रष्टाचार बढ़ने का मुख्य कारण थानाध्यक्षों के कार्यकाल तय कर देना माना जा रहा है।
पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के कार्यकाल में नियम बनाया गया कि इंस्पेक्टर तीन साल ही थानाध्यक्ष्र पद पर रहेंगे और एसीपी चार साल सब डिवीजन में तैनात रह सकते हैं।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि ऐसा नियम किसी भी राज्य की पुलिस बल में नहीं है। दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार पनपने का मुख्य कारण यही माना जा रहा है। क्योंकि तीन साल का कार्यकाल तय करने से थानाध्यक्षों का ध्यान बेहतर तरीके से कानून व्यवस्था संभालने के बजाय दूसरी तरफ बंट जाता है। थानाध्यक्षों के मन से यह बात बैठ जाती है कि उन्हें तीन साल तक ही थाने की जिम्मेदारी मिलेगी।
पुलिस अधिकारी का कहना है अनुभवी थानाध्यक्ष ही बेहतर कानून व्यवस्था संभाल सकते हैं। नए आयुक्त इस पैमाने को खत्म करने पर विचार कर सकते हैं। तभी दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है।
पूर्व पुलिस आयुक्त के कार्यकाल में स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के पुलिसकर्मियों द्वारा किसी बड़े केस को सुलझाने पर टीम को मिलने वाले नकद रिवार्ड और मुखबिर फंड भी नहीं दिए गए। तीन साल में सब इंस्पेक्टरों व इंस्पेक्टरों को पदोन्नतति नहीं मिल पाई।
गैंलेंट्री के लिए पुलिसकर्मियों के चयन के लिए पुलिस मुख्यालय में इस साल कोई कमेटी ही नहीं बैठ पाई। स्पेशल सेल दिल्ली पुलिस की सबसे बड़ी स्पेशलाइज्ड यूनिट है। इसका गठन गैंग्सटरों और आतंकियों पर लगाम लगाने के लिए किया गया था। हाल के वर्षों में इस यूनिट में इतनी गुटबाजी हुई कि सेल पूरी तरह से बिखड़ गई।
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सेल में लंबे समय से तैनात कई जांबाज एसीपी को जानबूझ कर साइड लाइन कर दिया गया तो कई इंस्पक्टरों व उनकी टीम का सेल से तबादला कर दिया गया। ऐसे पुलिसकर्मियों को सेल से हटा दिए गए जिनका गैंग्सटरों व आतंकियों के मामले में मजबूत नेटवर्क है। इससे सेल काफी कमजोर हुई।
सेल में पिछले कुछ सालों में चिटिंग व सट्टेबाजों के कई मुकदमे दर्ज किए गए जो सेल में दर्ज नहीं किए जाने चाहिए। किसी और मकसद से इस तरह के
मामले दर्ज किए गए। नए आयुक्त के लिए सेल को मजबूत करना भी चुनौती होगी। सेल से बाहर भेजे गए जांबाज कर्मियाें को आयुक्त फिर से सेल में वापस लाने पर विचार कर सकते हैं।
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