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    Delhi: क्या SHO के कार्यकाल में बड़ा बदलाव करेंगे पुलिस कमिश्नर? भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश

    Updated: Mon, 25 Aug 2025 12:03 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस में एसएचओ के तीन साल के कार्यकाल के नियम पर नए पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा पुनर्विचार कर रहे हैं। पूर्व आयुक्त द्वारा बनाए गए इस नियम से कई तरह की दिक्कतें आ रही थीं जैसे कि भ्रष्टाचार में वृद्धि और कानून व्यवस्था पर कम ध्यान। पुलिस मुख्यालय में हुई बैठक में आयुक्त ने इस व्यवस्था पर आपत्ति जताई। जल्द ही इस संबंध में एडवाइजरी जारी हो सकती है।

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    एसएचओ के तीन साल के कार्यकाल की समय सीमा खत्म हो सकती है।

    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर तीन साल ही एसएचओ के पद पर बने रह सकेंगे, पूर्व पुलिस आयुक्त द्वारा बनाए गए इस नियम को नए पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा खत्म करने पर विचार कर रहे हैं।

    बता दें कि करीब तीन साल पहले तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने एसएचओ के तीन साल के कार्यकाल को लेकर एडवाइजरी जारी की थी, तब से उस व्यवस्था के अनुरूप एसएचओ की तैनाती की जा रही थी। लेकिन, अब जल्द समय सीमा की पाबंदी खत्म हो जाएगी।

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    वहीं, शनिवार को पुलिस मुख्यालय में सभी आला अधिकारियों के साथ हुई अपराध समीक्षा बैठक में आयुक्त ने इस व्यवस्था पर आपत्ति जताई। यही नहीं अपनी नियुक्ति के दो दिनों में उन्होंने जितनी भी बैठकें की उसमें वे इस व्यवस्था से खुश नजर नहीं आए। सूत्रों के अनुसार, अगले हफ्ते इस संबंध में एडवाइजरी जारी हो सकती है।

    इससे पहले 2021 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट को खत्म कर उसे जिला पुलिस के साथ समायोजित कर दिया था। वह फैसला भी बहुत गलत साबित हुआ। संकट के समय में पीड़ित के काल करने पर पीसीआर जल्द मौके पर नहीं पहुंच पाती थी। पीसीआर कॉल की मॉनिटरिंग भी बंद हो गई। कई तरह की खामियां सामने आने पर आठ माह बाद ही पीसीआर को जिला पुलिस से हटाकर फिर से अगल यूनिट बना दी गई।

    एसएचओ के तीन साल के कार्यकाल की समय सीमा तय करने का फैसला सुंदरी नंदा का था। वह 2021 में दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त एडमिन थीं। उन्होंने तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के कार्यकाल में एक डीसीपी से सलाह मशविरा करने के बाद उन्हें यह सुझाव दिया था।

    वहीं, इस नियम को लागू करने से पहले अस्थाना सेवानिवृत हो गए। जिससे बाद पूर्व पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने इस नियम को लागू कर दिया। यह फैसला भी दिल्ली पुलिस के लिए ठीक साबित नहीं हो रहा है क्योंकि समय सीमा तय करने से एसएचओ का ध्यान इलाके की कानून व्यवस्था पर देने के बजाय दूसरे कामों पर अधिक जाने लगा। साथ ही इससे पुलिस में भ्रष्टाचार भी तेजी से बढ़ा। आए दिन थानों में विजिलेंस व सीबीआई के छापे पड़ने शुरू हो गए, जिससे दिल्ली पुलिस की छवि धूमिल होती रही।

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    पुलिस अधिकारी का कहना है कि एसएचओ की तैनाती की समय सीमा किसी भी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस विभाग में नहीं है। दिल्ली पुलिस में जिनका ट्रैक रिकॉर्ड ठीक होता है उन्हीं को साक्षात्कार बोर्ड द्वारा चयन करने के बाद लगाया जाता रहा है।

    दिल्ली पुलिस के 225 थाने हैं, जिनमें 194 जिले के थाने, सात रेलवे के थाने, 16 मेट्रो के थाने, दो एयरपोर्ट और छह, स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच व विजिलेंस आदि यूनिटों के थाने हैं।