दिल्ली पुलिस को कर रहा था गुमराह, फोटो खींचकर AI से डेटा निकला तो खुल गई पोल
दिल्ली पुलिस ने एआई तकनीक की मदद से एक शातिर झपटमार को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान वजीराबाद निवासी तोफीक के रूप में हुई है। उसके कब्जे से लोकल बस के यात्री से चुराया गया मोबाइल फोन बरामद किया गया है। तोफीक मंडावली और बाड़ा हिंदू राव पुलिस थानों में दर्ज झपटमारी और चोरी के दो मामलों में भी शामिल रहा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कश्मीरी गेट थाना पुलिस की टीम ने एआई तकनीक (AI Technology) की मदद से एक शातिर झपटमार की पहचान कर उसे गिरफ्तार किया है। उसके कब्जे से लोकल बस के यात्री से चुराया गया मोबाइल फोन बरामद किया गया है।
आरोपी की पहचान वजीराबाद निवासी तोफीक के रूप में हुई है। यह मंडावली और बाड़ा हिंदू राव पुलिस थानों में दर्ज झपटमारी और चोरी के दो मामलों में शामिल रहा है।
मोबाइल का नहीं खोल पाया लॉक
उत्तरी जिले के उपायुक्त राजा बांठिया के अनुसार, 16 दिसंबर को क्षेत्र में गश्ती दल को जीपीओ के पास एक संदिग्ध व्यक्ति दिखा, जिसने पूछताछ करने पर भागने की कोशिश की। उसकी तलाशी के दौरान मोबाइल फोन बरामद हुआ, जो उसका स्क्रीन लॉक तक नहीं खोल पाया।
पुलिस ने युवकी फोटो खींच एआई से निकाला डेटा
वह अपनी पहचान भी नहीं बता रहा था और लगातार पुलिस को गुमराह कर रहा था। पुलिसकर्मी ने उसकी तस्वीर ली और एआई आधारित फेस रिक्गनीशन सिस्टम (एफआरएस) डेटा से मिलान के लिए उत्तरी सेल के कंप्यूटर इंचार्ज को भेजी, जिससे उसकी पहचान वजीराबाद निवासी तोफीक के रूप में हुई।
मोबाइल चोरी की पीसीआर कॉल मिली
इसी बीच पुलिस को पीसीआर कॉल मिली, जिसमें कालर ने बताया कि चर्च लोथियन रोड बस स्टाप पर बस में चढ़ते समय उसका मोबाइल फोन चोरी हो गया था। पुलिस ने एफआरएस तकनीक का उपयोग करते हुए आरोपी तोफीक को मोबाइल फोन चोरी मामले में आरोपी पाया और उसे गिरफ्तार कर लिया।
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गृह मंत्रालय में नौकरी दिलाने का झांसा देकर दो लाख रुपये ठगे
वहीं, गृह मंत्रालय में चपरासी की नौकरी दिलाने के नाम पर व्यक्ति से धोखाधड़ी कर दो लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित के बयान पर बाराखंभा रोड थाने में शिकायत दर्ज की गई है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुनील कुमार राजेन्द्र रोड स्थित सर्वेंट क्वार्टर में रहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि संदीप टिर्की और संजय कुमार चंदौलिया ने उन्हें बताया था कि उनका परिचित राजू सूरी के गृह मंत्रालय में अच्छे संबंध हैं।
वह गृह मंत्रालय में चपरासी की नौकरी दिला सकते हैं, लेकिन इसके लिए उसे दो लाख रुपये देने होंगे। पीड़ित ने उन्हें वर्ष 2017 में दो लाख रुपये भी दे दिए। पीड़ित को वह पिछले सात साल से न तो नौकरी दी न ही उनके पैसे वापस किए। जिसके बाद पीड़ित ने सात साल बाद बाराखंभा रोड थाने में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया।
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