15 अगस्त को डेडली मांझे से 400 से अधिक पक्षी लहूलुहान, 147 काॅल्स मिलीं, 36 चिड़ियों की बचाई जान
स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में जानलेवा मांझे से 400 से अधिक पक्षी घायल हो गए। चांदनी चौक स्थित जैन पक्षी अस्पताल में 96 से अधिक घायल पक्षी लाए गए जिनमें से आठ की मौत हो गई। अग्निशमन विभाग को भी पक्षियों को बचाने के लिए कई काल्स मिलीं। घायल पक्षियों में चील कौवे और कबूतर शामिल हैं। डॉक्टर के अनुसार इन दिनों घायल पक्षियों के मामले बढ़ जाते हैं।

मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। प्रति वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी में जानलेवा मांझा न सिर्फ इंसानों बल्कि बेजुबान पक्षियों की जिंदगी की डोर काट रहा है। ये मांझा आसमान में परवाज भरते परिंदों के पंख काटने के साथ उन्हें लहूलुहान कर रहा है, जिससे वे ताउम्र उड़ने से मोहताज होने के साथ जिंदगी तक गंवा रहे हैं।
आठ ने दम तोड़ दिया
इस बार भी शुक्रवार को 400 से अधिक पक्षी जानलेवा मांझे की चपेट में आकर घायल हुए हैं। इनमें से चांदनी चौक स्थित जैन पक्षी अस्पताल में 96 से अधिक घायल पक्षी इलाज के लिए लाए गए। इनमें से 19 पक्षियों को गंभीर चोटें आई थीं, जबकि आठ ने दम तोड़ दिया। मांझे से उलझकर दम तोड़ने वाले पक्षियों में एक चील, सात कबूतर शामिल हैं।
कई के पंख बुरी तरह से कटे
इसके अलावा अस्पताल लाए गए घायल पक्षियों में 18 चील, 13 कवै, 60 कबूतर, पांच तोते शामिल हैं। इनमें कई ऐसे हैं, जो शायद ही अब पूरी तरह से पहले जैसे हो पाएंगे, क्योंकि कई की हड्डिया टूटी हुई हैं। कई के पंख बुरी तरह से घायल हैं।
वहीं, अग्निशमन विभाग को मांझे में फंसकर घायल पक्षियों से संबंधित 36 काल्स मिलीं, जिनका दमकलकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू किया। वैसे, इस बार मांझे से घायल पक्षियों की संख्या पिछले वर्ष से कम है।
हर वर्ष होता है ऐसा
जैन पक्षी अस्पताल के संचालकों के अनुसार, बीते वर्ष 15 अगस्त के दिन ही 150 से अधिक घायल पक्षी इलाज के लिए लाए गए थे। वैसे, अभी घायल पक्षियों के आने का सिलसिला एक-दो दिन और जारी रहेगा। इनमें सर्वाधिक कबूतर, कौवे व चील के साथ ही तोते व मोर भी हैं। प्रति वर्ष 15 अगस्त के आस-पास इस अस्पताल में इलाज के लिए 500 से 600 पक्षी इलाज के लिए आते हैं।
छत पर मांझे से उलझा मिला
चिकित्सालय के डाक्टर रामेश्वर यादव के मुताबिक, इन दिनों घायल पक्षियों के सर्वाधिक मामले आते हैं। पिछले कुछ दिनों से प्रतिदिन औसतन 50-55 घायल पक्षी इलाज के लिए लाए जा रहे थे, जबकि 15 अगस्त और उसके बाद के दिनों में इनकी संख्या बढ़ जाती है।
यही स्थिति दीपावली पर रहती है जब पटाखों से पक्षी घायल होते हैं। राजेंद्र नगर से घायल कबूतर को इलाज के लिए लाए सुनील ने बताया कि उन्हें यह घर की छत पर मांझे से उलझा मिला था। इसका पंख कट गया है, जिससे यह उड़ नहीं पा रहा है।
कुछ के पंख तक काटने पड़े
उन्होंने बताया कि ये पक्षी जब जानलेवा मांझे में उलझते हैं तो उससे बाहर निकलने के लिए और फड़फड़ाते हैं, उससे वे और अधिक चोटिल हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे पक्षियों को ठीक होने में एक से दो माह लग जाता है। तब तक ये चिकित्सालय में ही चिकित्सकीय देखरेख में रहेंगे। दुखद यह कि इनकी जिंदगी बचाने के लिए कुछ के पांव तो कुछ के पंख तक काटने पड़ जा रहे हैं।
15 अगस्त के दिन दमकल विभाग को मिली 147 काल्स
- आग - 30
- कूड़े में आग - 1
- पशु रेस्क्यू - 16
- पक्षी रेस्क्यू - 36
- डूबते हुए बचाव - 3
- घर गिरने की - 8
- मानव बचाव - 12
- सड़क हादसे - 4
- स्पेशल जाब - 12
- स्टैंड बाय - 26
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