Delhi News: पेट्रोल पंपों पर डीजल-पेट्रोल की बिक्री में भारी गिरावट, सामने आया चौंकाने वाला आंकड़ा
दिल्ली में पुराने वाहनों पर कार्रवाई के कारण पेट्रोल पंपों की बिक्री में गिरावट आई है खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में जहां 20 प्रतिशत तक की कमी आई है। पंप मालिक चिंतित हैं और दिल्ली सरकार से अभियान रद्द करने या स्थगित करने की मांग कर रहे हैं। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। दो दिन से दिल्ली में तय अवधि पूरी कर चुके वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई से पेट्रोल पंपों पर डीजल-पेट्रोल की बिक्री पर बड़ा असर पड़ा है। खासकर बॉर्डर क्षेत्रों में स्थित पेट्रोल पंपों से पेट्रो पदार्थ की बिक्री में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इससे पंप संचालकों में चिंता का माहौल है।
इस मामले में उन्होंने एक बार फिर दिल्ली सरकार से अभियान को रद करने या नवंबर तक स्थगित करने पर जोर दिया है। वैसे, इस आकस्मिक संकट पर बृहस्पतिवार को दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (डीपीडीए) की प्रबंध समिति की बैठक संभावित है, जिसमें दिल्ली सरकार से मिलकर यह मांग उठाने का निर्णय किया जा सकता है।
पंप संचालकों के अनुसार, दिल्ली में मौजूद 400 पेट्रोल पंपों में से अकेले 150 हरियाणा व उत्तर प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्रों में स्थित हैं, जो दिल्ली में कुल पेट्रो पदार्थ की बिक्री में करीब 40 प्रतिशत का योगदान देते हैं। एक जुलाई से दिल्ली के पेट्रोल पंपों से अवधि पूरी कर चुके वाहनों को पेट्रो पदार्थ न देने का अभियान चल रहा है।
दिल्ली के बाकी इलाकों के पेट्रोल पंपों की बिक्री पर इस अभियान का आंशिक असर पड़ा है, लेकिन बॉर्डर क्षेत्र में अभियान का गहरा नकारात्मक प्रभाव देखा जा रहा है। बॉर्डर क्षेत्र के पंप संचालकों के अनुसार, दिल्ली की बिक्री पड़ोसी राज्यों में स्थानांतरित होने के साथ दूसरे राज्यों के दिल्ली के पंपों पर आने से परहेज करने के मामले इस अभियान से बढ़े हैं। यह बिक्री प्रभावित होने का बड़ा कारण है।
डीपीडीए के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया बताते हैं कि मंगलवार को पहले दिन बॉर्डर क्षेत्र के पंपों पर 10 से 15 प्रतिशत बिक्री प्रभावित हुई, जबकि दूसरे दिन यह असर करीब 20 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिसने पंप संचालकों की चिंता बढ़ा दी है। बिक्री में गिरावट से आशंकित पंप संचालकों ने इसलिए पहले भी अभियान को दिल्ली एनसीआर में एक साथ नवंबर माह से लागू करने की मांग की थी। इस मांग को फिर दिल्ली सरकार के समक्ष रखा जाएगा।
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