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    Nirbhaya Case के 11 साल, चलती बस में हैवानियत; आठ साल तक इंसाफ की लड़ाई और फिर फांसी... पढ़ें निर्भया कांड की पूरी कहानी

    By Shyamji TiwariEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Sat, 16 Dec 2023 11:07 AM (IST)

    Nirbhaya case दिल्ली की सड़कों पर बस चलती रही और लड़की को बस में पीछे की तरफ ले जाकर बारी-बारी से लोगों ने दुष्कर्म किया। जब उसने विरोध किया तो उनमें से एक ने लड़की के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी। इससे उसकी आंते फट गईं। इस घटना के बाद छेड़छाड़ और दूसरे तरीकों से यौन शोषण को भी दुष्कर्म में शामिल किया गया।

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    Delhi Nirbhaya Case 11 years: पढ़ें निर्भया कांड की पूरी कहानी

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निर्भया कांड (Nirbhaya Kand): 11 साल पहले 16 दिसंबर 2012 को कड़ाके की ठंड भरी रात में दिल्ली की सड़क पर जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर करके रख दिया। दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक पैरा मेडिकल की छात्रा अपने दोस्त के साथ मूवी देखकर घर लौट रही थी।

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    बस में पहले से मौजूद थे छह लोग

    दिल्ली के मुनिरका बस स्टैंड पर दोनों एक बस चढ़े। उस बस में पहले से ड्राइवर सहित छह लोग मौजूद थे। इसके बाद बस दूसरे रूट पर चलने लगी और बस में मौजूद लोगों ने बस के दरवाजे बंद कर लिए। कुछ गलत होने की आशंका पर लड़की के दोस्त ने आपत्ति जताई तो बस में मौजूद लोगों ने उसके साथ मारपीट की और रॉड हमला करके अधमरा कर दिया।

    दिल्ली की सड़कों पर बस चलती रही और लड़की को बस में पीछे की तरफ ले जाकर बारी-बारी से लोगों ने दुष्कर्म किया। जब उसने विरोध किया तो उनमें से एक ने लड़की (निर्भया कांड) के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी। इससे उसकी आंते फट गईं। इस हैवानियत के बाद दोनों को बस से सड़क किनारे फेंक दिया गया।

    29 दिसंबर को निर्भया ने तोड़ा दम

    जब एक राहगीर ने दोनों को देखा तो दिल्ली पुलिस को सूचना दी। इसके बाद लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया। लड़की की हालत बहुत ज्यादा गंभीर थी, उसके पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल गया और उसे एयरलिफ्ट करके सिंगापुर इलाज के लिए ले जाया गया, जहां पर वह जिंदगी औ मौत से जूझते हुए 29 दिसबंर 2012 की रात को दम तोड़ दिया।

    भारत में दुष्कर्म से जुड़े कानून के चलते पीड़िता के नाम के उजागर करने की अनुमति नहीं, इसलिए, अलग-अलग मीडिया संस्थानों की ओर से उसे अलग-अलग नाम दिए। इनमें एक निर्भया नाम से पूरे कांड को जाना जाता है। 2013 में निर्भयना को मरणोपरांत अमेरिकी विदेश विभाग से अंतर्राष्ट्रीय साहस महिला पुरस्कार से सम्मानित किया था।

    देशभर में हुआ था विरोध-प्रदर्शन

    इस घटना के बाद देशभर में लोगों ने जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया। उस लड़की (निर्भया) को इंसाफ दिलाने के लिए देशभर के लोगों ने सड़कों पर उतरकर आवाज उठाई। पुलिस ने निर्भया कांड में बड़ी कार्रवाई करते हुए 17 दिसंबर 2012 को मुख्य आरोपी और बस चालक राम सिंह सहित चार लोगों को पकड़ा।

    चार दोषियों को हुई थी फांसी

    पकड़े गए आरोपियों में बस ड्राइवर राम सिंह, विनय गुप्ता, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर और एक अन्य नाबालिग शामिल थे। बस ड्राइवर राम सिंह ने ट्रायल के दौरान तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली और नाबालिग को तीन साल की सजा हुई। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 मार्च 2020 को सुबह तड़के साढ़े पांच बजे निर्भया के चारों को दोषियों को फांसी दे दी गई।

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    इस घटना के बाद सरकार ने कानूनी सुधार और यौन हिंसा को कम करने के अन्य तरीकों की सिफारिश करने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया। जस्टिस वर्मा समिति को 80,000 सिफ़ारिशें प्राप्त हुईं, व्यापक विचार-विमर्श किया गया और दुनिया भर के कानूनों और शोधों का हवाला दिया गया। इस घटना के बाद छेड़छाड़ और दूसरे तरीकों से यौन शोषण को भी दुष्कर्म में शामिल किया गया। संसद में नया जुवेनाइल जस्टिस बिल पास हुआ।

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