Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    निर्भया कांड की दसवीं बरसी: 7 साल बाद फांसी पर लटकाए गए थे दरिंदे, जानें हैवानियत की पूरी दास्तान

    By Jagran NewsEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Fri, 16 Dec 2022 10:08 AM (IST)

    निर्भया हत्याकांड के आज से ठीक 10 साल पूरे हो गए है। 16 दिसंबर 2012 की सर्द रात में निर्भया के साथ बेरहमी से दरिंदगी की गई थी। इस घटना के बाद पूरे देश में जबरदस्त गुस्सा था। इस बर्बरता पर दिल्ली समेत कई जगहों में प्रदर्शन हुए थे।

    Hero Image
    निर्भया कांड की आज दसवीं बरसी। पूरे देश में हुए थे विरोध प्रदर्शन। (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। आज से ठीक 10 साल पहले यानि 16 दिसंबर की सर्द रात में निर्भया के साथ दरिंदगी की गई। इस दरिंदगी में एक नाबालिग समेत छह लोग शामिल थे। निर्भया के साथ हुई इस बर्बरता पर सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरा देश हिल गया था। निर्भया बहादुरी से लड़ी लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गई। वह हैवानों को फांसी पर चढ़ते हुए नहीं देख सकी। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    निर्भया के गुनहगारों को फांसी देकर उन्हें इंसाफ दिया गया। उनको इंसाफ मिलने में सात साल का समय लगा। निर्भया के दोषियों को 20 मार्च, 2020 को फांसी पर लटकाया गया था। दोषियों को फांसी के तख्ते पर पहुंचाने के लिए उनकी मां ने जटिल कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिरकार निर्भया को न्याय मिला। हम आपको बता रहे हैं कि उस रात क्या हुआ था।

    चलती बस में हुआ सामूहिक दुष्कर्म

    अपने सपनों को पूरा करने के लिए बड़े शहर दिल्ली आई 23 साल की फिजियोथिरेपिस्‍ट निर्भया उस रात अपने दोस्त के साथ साउथ दिल्‍ली के एक थियेटर से मूवी 'लाइफ ऑफ पाई' देखकर लौट रही थी। उन दोनों को द्वारका जाना था जिसके लिए वे मुनिरका में ऑटो का वेट कर रहे थे। उसी समय एक चार्टर बस आती दिखाई देती है। उस बस में ड्राइवर समेत कुल 6 लोग पहले से ही सवार थे। निर्भया और उसके दोस्‍त को बस में सफर करने के लिए पूछा जाता है। बस चलने लगती है और उन दोनों को एहसास होता है कि बस में बैठे लोग सही नहीं हैं।

    चलती बस में वहां मौजूद छह लोगों ने निर्भया के साथ छेड़छाड़ शुरू की। इस पर निर्भया के दोस्त ने विरोध किया तो उन लोगों ने उस पर लोहे की रॉड से वार किया जिससे वह वहीं बेहोश हो गया। उसके बाद वो सारे लोग निर्भया को बस के पीछे के हिस्से में ले गए और वहां चलती बस में सामूहिक रूप से दु्ष्कर्म किया गया। इससे भी उनका मन नहीं भरा तो एक अपराधी ने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में सरिया डाल दिया। इससे निर्भया की आंतें बुरी तरह डैमेज हो गई थीं।

    निर्भया के साथ हैवानियत करने के बाद उसे और उसके दोस्त को चलती बस से फेंक दिया। यहां तक कि उन्होंने निर्भया पर बस चढ़ाने की कोशिश की लेकिन उसके घायल दोस्त ने उसे बचा लिया। इसके बाद वहां से गुजरने वाले शख्स ने दिल्ली पुलिस को फोन किया।

    सिंगापुर में हारी थी जिंदगी की जंग

    निर्भया की शरीर को बुरी तरह नोंचा गया था। जब डॉक्‍टरों ने निर्भया को देखा तो उसके शरीर में केवल 5 फीसदी आंतें ही ठीक बची थीं। बाकी सब खराब हो चुकी थीं। इतनी वीभत्स घटना के बारे में जानकर पूरे देश का गुस्सा फूट पड़ा। लोग सड़क पर उतर आए और जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ। राजधानी दिल्ली में सबसे अधिक गुस्सा देखा गया।

    इस मामले को लेकर संसद में भी जोरदार हंगामा हुआ। इस दौरान निर्भया की हालत बिगड़ती चली गई। उनको अच्छे इलाज के लिए सिंगापुर के अस्पताल में शिफ्ट किया गया। हालांकि उनको बचाया नहीं जा सका, वह 29 दिसंबर की रात जिंदगी की जंग हार गईं। इस हमले में घायल निर्भया के दोस्त की जान बच गई जिसने पूरी दुनिया को इस हैवानियत के बारे में बताया।

    मुजरिमों को दी गई फांसी

    दिल्ली पुलिस ने तेजी से काम करते हुए सभी आरोपितों को पकड़ा। दोषियों को फांसी के तख्ते पर पहुंचाने के लिए जटिल कानूनी लड़ाई लड़ी गई। इस मामले में एक नाबालिग के अलावा राम सिंह नाम का बस ड्राइवर था जिसने तिहाड़ जेल में ही सुसाइड कर लिया था। बाकी के चारों आरोपितों- मुकेश सिंह, विनय गुप्‍ता, पवन गुप्‍ता और अक्षय ठाकुर का ट्रायल पूरा हुआ।

    आरोपितों को 2013 में मौत की सजा सुनाई गई। इसके बाद ऊंची अदालत में अपील हुई। सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखकर न्याय देने का काम किया। इसके बाद उन सभी मुजरिमों को फांसी दी गई।