Delhi News: जब जानकारी होगी सटीक, तभी तो पर्यावरण संरक्षण अभियान को मिलेगी मजबूती
विकास को मिल रही गति के बीच हरियाली सिमटती जा रही है। जिसके कारण न सिर्फ पर्यावरण पर खतरा मंडरा रहा है बल्कि पेड़-पौधों को लेकर बच्चों की जानकारी भी किताबों तक सीमित रह गई है। पौधे के गुणों के बारे में बच्चे जानकारी कर रहे हैं।

मनीषा गर्ग, पश्चिमी दिल्ली। विकास को मिल रही गति के बीच हरियाली सिमटती जा रही है। जिसके कारण न सिर्फ पर्यावरण पर खतरा मंडरा रहा है बल्कि पेड़-पौधों को लेकर बच्चों की जानकारी भी किताबों तक सीमित रह गई है। किस पौधे का क्या नाम है और उसके क्या गुण हैं, अधिकांश बच्चों को इसकी जानकारी नहीं है।
कुछ एकाध पेड़-पौधों जैसे नीम, जामुन, मनी प्लांट, बरगद, कैक्टस, आम, एलोवेरा आदि को छोड़ दे तो कई ऐसे पेड़-पौधे व उनकी प्रजातियां है जिसकी लोगों के पास भी अब जानकारी नहीं है। जानकारी अर्जित करने के लिए लोग गूगल का प्रयोग करते है, पर उस भी गहराई युक्त ज्ञान नहीं है। जब ज्ञान नहीं होगा तो पर्यावरण संरक्षण अभियान को कैसे मजबूती मिलेगी? इस बात को मद्देनजर रखते हुए जनकपुरी स्थित केंद्रीय विद्यालय के नौवीं कक्षा के कुछ विद्यार्थियों ने द ग्रीन माइंड संस्था शुरू की है।
संस्था का उद्देश्य भारत के विभिन्न कोनों में पेड़-पौधों की प्रजातियों के बारे में इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लाेगों का ज्ञानवर्धन करना है। संस्था के अध्यक्ष सुधांशु कुमार बताते हैं कि उनका मकसद है कि वे पेड़-पौधों से जुड़ी तमाम जानकारियों को एकत्रित करें, जिनका जिक्र स्कूली किताबों, इंटरनेट आदि पर नहीं है। इसके लिए वे इंटरनेट मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर लोगों को जोड़ रहे है और उन्हें इस दिशा में रिसर्च व खोजबीन करने के लिए प्रेरित कर रहे है।
अच्छी बात ये है कि नियमित रूप से ज्ञान रूपी पिटारे में जानकारियों का खजाना बढ़ रहा है। संस्था से जुड़े लोग कोई भी नई जानकारी मिलने पर उसे आनलाइन साझा कर देते है। संस्था द्वारा समय-समय पर प्रकृति पर आधारित विषय पर आनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, ताकि लोग प्रकृति के बारे में और गहराई से जानने के लिए प्रेरित हो। अभी तक 100 से अधिक लोग इंस्टाग्राम प्लेटफार्म से जुड़ चुके है। जिसमें बिहार, भोपाल, मुंबई के लोग भी शामिल है।
संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जय शुक्ल बताते हैं किताबों में भी जानकारियां सिमटती जा रही है। ऐसे में हमारी कोशिश है संस्था के माध्यम से पर्यावरण से जुड़ी तमाम जानकारियों का संग्रह तैयार कर सीबीएसई के समक्ष रखा जाए, ताकि उसे बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके। पाठ्यक्रम पुस्तकों के माध्यम से बच्चें उन जानकारियों को न सिर्फ पढ़ेंगे, बल्कि प्रयोगशालाओं में उस ज्ञान का विस्तार होगा और वहीं से पर्यावरण संरक्षण अभियान को मजबूती मिलेगी।
बच्चे उन पेड़-पौधों को खरीदने के लिए प्रेरित होंगे और धीरे-धीरे हमारे इर्द-गिर्द पेड़-पौधों की वे प्रजाति भी नजर आने लगेंगी जो कहीं विलुप्त हो गई है। यदि सब ठीक रहा तो आने वाले दिनों में संस्था द्वारा एक आनलाइन वेबसाइट तैयार की जाएगी, जहां से लोग तरह-तरह की प्रजातियों के पौधे, उनके बीज, खाद, आदि सामान खरीद सकेंगे।
पौधारोपण कर भी दिया जाएगा संदेश
सुधांशु बताते हैं कि ज्ञान के साथ उनका लक्ष्य है कि वे अपने आसपास जो भी जगह है, उनमें अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए। इस दिशा में 72वें गणतंत्र दिवस से शुरुआत कर दी गई है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर संस्था व उनके स्कूल के कुछ विद्यार्थियों ने मिलकर 72 नीम के पौधे लगाएं। इन पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी एक-एक विद्यार्थी ने उठाई है। आने वाले दिनों में भी जगह-जगह पौधारोपण किया जाएगा। अच्छी बात ये है कि नवंबर माह में शुरू की गई इस संस्था को स्कूल के प्रधानाचार्य ने हमारी सोच को न सिर्फ सराहा है बल्कि मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।

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