Delhi Weather : हर इलाके का होगा अलग मौसम पूर्वानुमान, कहां-कहां बनेंगे ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन?
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने के लिए दिल्ली में हर तीन किलोमीटर पर एक स्वचालित मौसम केंद्र (एडब्ल्यूएस) की आवश्यकता है। मौसम विभाग के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक आनंद शर्मा ने यह सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक यह नेटवर्क नहीं होगा न तो सही आकलन हो पाएगा और न ही पूर्वानुमान। यह सुझाव सीएसई की ओर से नीमली में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन के दौरान दिया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बढ़ती चरम मौसमी घटनाओं और बदलते मौसम चक्र को समझने के लिए हर तीन किलोमीटर पर एक स्वचालित मौसम केंद्र (एडब्ल्यूएस) की जरूरत है। वजह यह है कि जब तक यह नेटवर्क नहीं होगा, न तो सही आकलन हो पाएगा और न ही पूर्वानुमान।
मौसम विभाग के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक आनंद शर्मा ने यह सुझाव सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की ओर से नीमली में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन के दौरान दिया।
पूर्व चेतावनी के लिए माइक्रो प्लान की जरूरत
सफदरजंग को बेस स्टेशन बनाकर पूरी दिल्ली में हीट वेव घोषित करने पर उन्होंने कहा कि हमारे पास सफदरजंग का 100 साल पुराना रिकॉर्ड है। उस रिकॉर्ड से तुलना संभव है। इसलिए यह बेस स्टेशन है। लेकिन पूर्व चेतावनी के लिए माइक्रो प्लान की जरूरत है।
इसके लिए हमें विस्तृत मॉनिटरिंग नेटवर्क की जरूरत है। गहन मॉनिटरिंग नेटवर्क से ही माइक्रो बेसिस पर प्लान बनाया जा सकता है।
शर्मा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की चरम घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन वे एक छोटे से क्षेत्र में हो रही हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में अब गर्मियां बहुत गर्म होने लगी हैं, सर्दियां ठंडी होने लगी हैं।
दुष्प्रभावों से निपटने के लिए कड़ी निगरानी
सर्दियां छोटी होती जा रही हैं और गर्मियां लंबी होती जा रही हैं। बारिश के दिन कम हो गए हैं। जब होती भी हैं, तो अचानक बहुत तेज बारिश होती है। इसके दुष्प्रभावों से निपटने के लिए कड़ी निगरानी और बेहतर योजना बनाना जरूरी हो गया है।
2024 की गर्मियों में मंगेशपुर में अधिकतम तापमान 52.3 दर्ज किए जाने के बाद उठे विवाद के कारण AWS पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस पर शर्मा ने स्पष्ट किया कि सिर्फ AWS लगाना ही काफी नहीं है, इनका कैलिब्रेशन (मापन यंत्र या उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करना) भी जरूरी है।
इसके लिए AWS का सालाना मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट भी किया जाना चाहिए। इससे कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि वे इन्हें ठीक करें।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मौसम विभाग पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एडब्ल्यूएस बढ़ाने पर भी काम कर रहा है। इस साल के अंत तक इनकी संख्या 35 से बढ़ाकर 100 करने की योजना है।
यह भी पढे़ें : दिल्ली के नामी स्कूल का छात्र पिता की डांट से घर छोड़कर भागा, पढ़ाई के डर से मजदूरी करने वाले बच्चे की कहानी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।