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    इस साल कैसा रहेगा दिल्ली-NCR में मानसून, बाकी राज्यों में कैसी होगी बारिश? मौसम वैज्ञानिकों ने की भविष्यवाणी

    Updated: Sun, 20 Apr 2025 06:16 PM (IST)

    इस वर्ष दिल्ली एनसीआर में मानसून सामान्य रहने की संभावना है जबकि पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान है। स्काईमेट वेदर के अनुसार ला नीना की स्थितियां कमजोर पड़ रही हैं और अल नीनो भी सक्रिय नहीं है इसलिए दिल्ली एनसीआर में बहुत अधिक वर्षा की उम्मीद कम है। मानसून की दस्तक 25 जून के आसपास होगी।

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    दिल्ली एनसीआर में मानसून सामान्य रहने के आसार।

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। बेशक देश भर में इस बार मानसून की वर्षा सामान्य से अधिक रहने का पूर्वानुमान है, मगर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इसके सामान्य ही रहने की संभावना है। जून में तो यह वर्षा सामान्य से कम भी रह सकती है जबकि जुलाई से सितंबर तक फिर ठीक ठाक रहेगी।

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    स्काईमेट वेदर के अनुसार ला नीना की स्थितियां बन रही थीं, लेकिन बाद में सिमटती गईं। उधर अल नीनो की कोई सक्रियता भी सामने नहीं आ रही। इसे देखते हुए अबकी बार दिल्ली एनसीआर में बहुत अधिक वर्षा होने के आसार कम ही हैं। मौसम विभाग का कहना है कि देश के विभिन्न राज्यों में समग्र रूप से मानसून सामान्य से अधिक बरसेगा। लेकिन सभी राज्यों में एक जैसी वर्षा कभी नहीं होती।

    मानसून की दस्तक 25 जून के आसपास

    मालूम हो कि दिल्ली में मानसून की दस्तक 25 जून के आसपास होती है। मानसून की सक्रियता अमूमन सितंबर के तीसरे सप्ताह तक रहती है, लेकिन बहुत बार अक्टूबर के पहले सप्ताह तक भी बरसात का दौर जारी रहता है। 2024 में यह एक सप्ताह की देरी से दो अक्टूबर को विदा हुआ था। पिछला वर्ष वर्षा के लिहाज से भी 1901 के बाद सातवां सबसे अधिक वर्षा वाला रहा था। सामान्य 640.3 मिमी की तुलना में 1029.9 मिमी वर्षा हुई थी।

    ला नीना और अल नीनो

    ला नीना और अल नीनो दोनों ही प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में बदलाव से जुड़े मौसम पैटर्न हैं. ये दोनों ईएनएसओ (अल नीनो साउदर्न ओसिलेशन) चक्र के दो चरण हैं। अल नीनो में पानी सामान्य से गर्म होता है, जबकि ला नीना में सामान्य से ठंडा होता है। ला नीना मानसून को प्रभावित कर सकता है, जिससे वर्षा कम या ज्यादा हो सकती है।

    हमने मानसून की सक्रियता के अनुरूप देश भर के राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटा है। यलो श्रेणी वाले राज्यों में कम, ग्रीन श्रेणी वाले में सामान्य और ब्लू श्रेणी वाले राज्यों में सामान्य से ज्यादा वर्षा होने का पूर्वानुमान है। यह पूर्वानुमान डायनामिक मॉडल के आधार पर मानसून वाले चार माह के लिए है। इसमें बदलाव संभावित है। अधिक सटीकता सप्ताह भर के मौसम पूर्वानुमान में ही होती है। कहीं कम, सामान्य अथवा अधिक वर्षा होने के पीछे स्थानीय कारण भी रहते हैं। - डॉ मृत्युंजय महापात्रा, महानिदेशक, मौसम विभाग

    इस बार मानसून की वर्षा सामान्य के करीब रहेगी। अगर ला नीना की स्थिति में बदलाव नहीं होता, तब यह अच्छी हो सकती थी। लेकिन अब इसके आसार कम ही हैं। इसमें संदेह नहीं कि स्थानीय भौगोलिक कारण भी कम या ज्यादा वर्षा में अहम भूमिका अदा करते हैं। - महेश पलावत, उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान व जलवायु परिवर्तन), स्काईमेट वेदर

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