क्या है दिल्ली सरकार की आइलैंडिंग योजना, जिसमें DMRC ने की शामिल होने की मांग; 5 लाख यात्रियों से जुड़ा है मामला
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने विद्युत ग्रिड फेल होने पर सुरक्षा के लिए डीटीएल की आइलैंडिंग योजना में शामिल होने का प्रस्ताव रखा है। डीएमआरसी को 2023 की संशोधित योजना में शामिल नहीं किया गया है जबकि यह शहर की जीवन रेखा है। एसएलडीसी ने कहा कि डीएमआरसी का ट्रैक्शन लोड परिवर्तनशील है जिससे योजना की स्थिरता में चुनौती है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) ने विद्युत ग्रिड फेल होने की स्थिति में अपने परिचालन की सुरक्षा के लिए दिल्ली सरकार की एजेंसी डीटीएल की 'आइलैंडिंग' योजना में शामिल होने की मांग की है। विद्युत क्षेत्र में 'आइलैंडिंग' एक बैकअप सुरक्षा तंत्र है, जो प्रभावित ग्रिड के एक हिस्से को महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को बिजली की आपूर्ति जारी रखने की अनुमति देता है।
दरअसल, डीएमआरसी को दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड (डीटीएल) की संशोधित 'आइलैंडिंग' योजना, 2023 में शामिल नहीं किया गया है, जबकि मेट्रो को शहर की जीवन रेखा माना जाता है और व्यस्त समय में 5 लाख यात्री इसका लाभ उठाते हैं। हाल ही में संचालन समन्वय समिति (ओसीसी) की बैठक में डीएमआरसी ने इस योजना में शामिल होने के लिए एक नया प्रस्ताव रखा।
राज्य भार प्रेषण केंद्र (एसएलडीसी) दिल्ली ने कहा कि 765 केवी नरेला सब-स्टेशन के अगस्त 2025 तक चालू होने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि आइलैंडिंग योजना की समीक्षा की जरूरत है।
हालांकि एसएलडीसी ने बताया कि डीआरएमसी का ट्रैक्शन लोड "अत्यधिक परिवर्तनशील" है, जिसके कारण अलग-अलग अंतराल पर पीक लोड होता है। यही परिवर्तनशीलता योजना की स्थिरता और स्थायित्व के लिए बड़ी चुनौती है।
अधिकारियों ने बताया कि डीएमआरसी से आग्रह किया गया कि वह अपने बदलते ट्रैक्शन लोड के प्रबंधन के लिए एक व्यावहारिक समाधान प्रस्तावित करे, ताकि सिस्टम की स्थिरता से समझौता किए बिना इसे आइलैंडिंग योजना में शामिल किया जा सके।
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