भाजपा के अंदर मतभेद से एमसीडी स्थायी समिति में गुटबाजी, विकास कार्य के 40 प्रस्ताव अटके
दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति गुटबाजी के कारण प्रभावित है जिससे सितंबर में कोई बैठक नहीं हो पाई और लगभग 40 प्रस्ताव लंबित हैं। भाजपा के सदस्यों के बीच मतभेद हैं और विपक्ष भी इस मुद्दे पर हमलावर है। नेता सदन के सदस्य न होने से भी प्रस्ताव पारित करने में कठिनाई हो रही है। पिछली बैठकों में कुछ प्रस्तावों पर आपत्तियां जताई गई हैं।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। लंबी प्रतीक्षा और जद्दोजहज के बाद नगर निगम की गठित हुई स्थायी समिति पर अब गुटबाजी हावी होते दिख रही है। इसकी वजह से पिछले माह सितंबर में समिति की एक भी बैठक नहीं हो पाई। आमतौर पर हर 15 दिन पर इसकी बैठक होती है। पिछले माह 24 सितंबर को बैठक निर्धारित होने की चर्चा तो हुई लेकिन हो नहीं पाई। समिति की बैठक नहीं होने के कारण करीब 40 प्रस्ताव लंबित चल रहे हैं। इन प्रस्तावों को कब मंजूरी मिलेगी, यह भी तय नहीं है क्योंकि चार बैठकों में अभी तक कई प्रस्ताव मंजूर ही नहीं हुए हैं।
लंबी लड़ाई लड़ी गई
एमसीडी में वैसे परंपरा रही है कि निगम के चुनाव के बाद सबसे पहली बैठक में पार्षदों का शपथग्रहण होने के बाद महापौर और उप महापौर का निर्वाचन होता है। इसके बाद स्थायी समिति का गठन होता है लेकिन दिसंबर 2022 में निगम के चुनाव के बाद महापौर और उप महापौर का निर्वाचन तो हुआ लेकिन स्थायी समिति गठित नहीं हो पाई। तब भाजपा विपक्ष में थी। उसने स्थायी समिति के गठन के लिए अदालतों का रुख किया। लंबी लड़ाई लड़ी गई।
मतभेद होना बताया जा रहा
इस साल जब भाजपा के पास निगम में बहुमत हो गया तो जून में स्थायी समिति का गठन हो गया। भाजपा की सत्या शर्मा को इसका अध्यक्ष चुना गया। 18 सदस्यों वाली स्थायी समिति में भाजपा के पास 10 जबकि मुख्य विपक्षी दल आप के पास आठ सदस्य हैं। बहुमत होने के बाद भी स्थायी समिति की बैठक न होने पर सवाल उठ रहे हैं। बैठक न होने की बड़ी वजह भाजपा के ही स्थायी समिति के सदस्यों में मतभेद होना बताया जा रहा है।
सदस्यों ने लिखित आपत्ति भी जताई
सूत्रों के मुताबिक भाजपा के स्थायी समिति के कई सदस्य उन प्रस्तावों से संतुष्ठ नहीं हैं, जो पिछली बैठकों में पारित हुए। एक सदस्य ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि बिना किसी पूर्व चर्चा के कई प्रस्ताव समिति में पारित कर दिए गए हैं। इस पर सदस्यों ने लिखित आपत्ति भी जताई है।
विपक्ष भी इसको लेकर भाजपा पर हमलावर है। नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग कहते हैं भाजपा वाले स्थायी समिति का गठन करो का अभियान चलाते थे। विरोध प्रदर्शन करते थे, लेकिन जब समिति का गठन हो गया तो बैठक का ही अता-पता नहीं होता है। तैयारी होती है लेकिन बैठक नहीं होती।
स्थायी समिति में सदस्य ही नहीं हैं नेता सदन
एमसीडी में भाजपा के सामने सबसे बड़ी समस्या ये हैं कि नेता सदन प्रवेश वाही स्थायी समिति के सदस्य ही नहीं हैं। इसकी वजह से स्थायी समिति में प्रस्तावों को पारित कराने में पार्टी में एकमत नहीं बन पाता है। पूर्व में ऐसा रहा है कि नेता सदन को भी स्थायी समिति का सदस्य बनाया जाता है। लेकिन प्रवेश वाही को स्थायी समिति का गठन होने के बाद नेता सदन बनाया गया था।
स्थायी समिति के लिए पूरी रात चला था सदन
दिसंबर 2022 में हुए निगम के चुनाव में 250 में से आप को 134, भाजपा को 104, कांग्रेस को नौ सीटें मिली थीं। तीन निर्दलीय पार्षद चुनकर आए थे। इस तरह से आप के पास बहुमत था। 6 जनवरी 2023 को होने वाली सदन की बैठक से पूर्व उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 10 मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) का मनोनय बिना तत्कालीन आप सरकार की सहमति से कर दिया।
10 एल्डरमैन का मनोनयन भाजपा समर्थित लोगों को किया गया था। इससे आप का स्थायी समिति में चेयरमैन बनाने का दावा कमजोर हो गया था। इसकी वजह से मनोनीत पार्षदों के पहले शपथ ग्रहण और फिर महापौर के मतदान में हिस्सा लेने पर खूब बवाल सदन में हुआ था। सदन की यह बैठक रातभर चली थी।
लंबित कुछ प्रमुख प्रस्ताव
- टेक्नाेलाॅजी पार्क जाफराबाद में कचरा प्रबंधन के लिए एमसीडी और मिशन इनवेस्ट इंडिया के बीच समझौता होना
- कोरोना काल में एमसीडी द्वारा अधिकृत पार्किंग संचालित करने वाले ठेकेदारों को मासिक लाइसेंस शुल्क में रियायत
- शाहदरा उत्तरी एवं शाहदरा दक्षिणी जोन में निर्माण एवं विध्वंस कचरा उठाने के अनुबंध में संशोधन
- 3,700 वर्ग मीटर के प्लाट का दिलशाद गार्डन में भू-उपयोग बदलने का ले आउट प्लान को मंजूर करना
- बालकराम अस्पताल में सेंट्रलाइज्ड एयर कंडिशनिंग की व्यवस्था करना
सही समय पर होगी बैठक
"विपक्ष के कहने पर बैठक थोड़ी करेंगे। सही समय पर बैठक होगी।"
-सत्या शर्मा, अध्यक्ष, स्थायी समिति, एमसीडी
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