10 लाख आवारा कुत्तों पर 'सुप्रीम' आदेश से टेंशन में MCD, रोजाना करोड़ों का खर्च... रिपोर्ट में समझिए सबकुछ
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाना एक चुनौती है। एमसीडी के पास सीमित शेल्टर होम और संसाधन हैं। दिल्ली में लगभग 10 लाख आवारा कुत्ते हैं और उनके रखरखाव का खर्च करोड़ों में होगा। निगम को शेल्टर होम बनाने के लिए जगह और फंड की व्यवस्था करनी होगी। एनिमल बर्थ कंट्रोल नियम 2023 में बदलाव किए गए हैं।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को गलियों और मोहल्लों से हटाना किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि न तो निगमों के पास बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों को रखने के लिए स्थायी शेल्टर होम मौजूद ही नहीं है और न ही पर्याप्त संसाधन।
एमसीडी के पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के पास मात्र 648 कर्मचारी और अधिकारी के पद स्वीकृत हैं। साथ ही कुत्तों को पकड़ने के लिए 24 वैन हैं।
एमसीडी के पास 20 बंध्याकरण केंद्र हैं, उनमें में एक समय में मात्र चार हजार कुत्तों को रखने की ही क्षमता है। इन्हें स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से संचालित किया जाता है। इनमें हर माह करीब 15 हजार आवारा कुत्तों का बंध्याकरण किया जाता है।
नोएडा में भी अभी एक ही शेल्टर होम है, जबकि तीन बनाने प्रस्तावित है लेकिन अभी जगह चिह्नित तक नहीं हुई है। बता दें कि दिल्ली में करीब 10 लाख आवारा कुत्ते होने का अनुमान है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 35 हजार आवारा कुत्ते हैं।
ऐसी ही स्थिति फरीदाबाद में हैं। जहां एक भी शेल्टर होम तक नहीं है। गुरुग्राम में भी नौ हजार से ज्यादा आवारा कुत्तों का सड़कों पर होने का अनुमान है।
दिल्ली में आवारा कुत्तों की तेजी से पकड़ने के लिए सबसे पहले निगम को इनके लिए पर्याप्त संख्या में शेल्टर होम बनाना होगा। साथ ही शेल्टर होम के लिए खाली स्थान को चिह्नित करना होगा।
दिल्ली में जगह की कमी और हर तरह बढ़ते रिहायशी क्षेत्र में आबादी से दूर शेल्टर होम बनाने के लिए स्थान चिह्नित करना सबसे बड़ी चुनौती होगा। इसके साथ ही कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे विभाग को कर्मियों की भर्ती भी करनी होगी।
एमसीडी को प्रतिदिन खर्च करने होंगे तीन करोड़ से ज्यादा
राजधानी दिल्ली में एमसीडी की पहले से ही वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। ऐसे में आवारा कुत्तों के रहने के लिए शेल्टर होम बनाने के साथ उनके संचालन की जिम्मेदारी लेना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा। क्योंकि जिस प्रकार से बेसहारा गाय के चारे व ररखाव के लिए 40 रुपये प्रतिदिन का खर्च आता है।
वहीं ऐसे में अगर, कुत्तों के लिए भी इतना खर्च हो तो निगम के लिए इसके लिए फंड की व्यवस्था करना चुनौतीपूर्ण रहेगा। क्योंकि दिल्ली में अनुमान के मुताबिक आठ से 10 लाख आवारा कुत्तें हैं।
ऐसे में अगर, आवारा कुत्तों की संख्या को आठ लाख मान भी लिया जाए और सभी को शेल्टर होम में एमसीडी डाल दे तो सबसे पहले तो इन शेल्टर होम को बनाने के लिए बड़े फंड की आवश्यकता होगी। जब शेल्टर होम बन जाए तो इन कुत्तों को शेल्टर होम में रखने में प्रतिदिन 3.20 करोड़ रुपये का खर्चा जाएगा।
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ऐसे में हर माह का खर्चा 90 करोड़ तक हो सकता है। ऐसे ही नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के लिए करोड़ों रुपये की आवश्यकता हर माह होगी।
आवारा कुत्तों को लेकर 9 साल में कोई सर्वे नहीं
चुनौती यह भी है कि दिल्ली में निगम को पता ही नहीं है कि किस इलाके में कितने आवारा कुत्ते हैं। एमसीडी में पूर्वकालिक दक्षिणी निगम में 2016 में चार जोन में एक सर्वे किया था। इस दौरान 1.89 लाख कुत्तों का होने का पता लगा था।
इसके बाद दिल्ली में कोई सर्वे नहीं हुआ है। ऐसी ही स्थिति फरीदाबाद, पलवल और गुरुग्राम में है। जहां अनुमान से ही निकाय कुत्तों की गणना कर रहे हैं जबकि इसके लिए हाल फिलहाल में कोई सर्वे नहीं हुआ है।
पहले क्या था
- एनिमल बर्थ कंट्रोल नियम 2023 के तहत पहले आवारा कुत्ते को उठाकर बंध्याकरण करना होता था
- जिस आवारा कुत्ते को जिस इलाके से उठाया है उसी इलाके में बंध्याकरण के 10 दिन के भीतर छोड़ना होता था
- एक वार्ड में अधिकतम 70 प्रतिशत बंध्याकरण होना चाहिए था
- केवल खतरनाक या रैबीज युक्त कुत्ते को शिकायत के बाद स्थानीय निकाय उठाएंगे, दस दिन तक निगरानी में रखेंगे
अब ये होगा
- अब सभी कुत्तों को उठाया जाएगा, जहां पर बंध्याकरण केंद्र पर बने शेल्टर पर ले जाया जाएगा वहां बंध्याकरण किया जाएगा
- जिस इलाके से कुत्ते को उठाया है वहां पर वापस नहीं छोड़ना होगा, बंध्याकरण के शेल्टर में ही रखना होगा
- अब किसी भी इलाके में कोई भी आवारा कुत्ता दिखेगा तो उसे निगम की टीम को शिकायत मिलने के चार घंटे के भीतर उठाना होगा
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