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    Delhi MCD Budget: नतीजों के अगले दिन ही पेश हुआ नगर निगम बजट, जानें किस वजह से आंकड़े नहीं किए गए सार्वजनिक

    By Jagran NewsEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Fri, 09 Dec 2022 12:04 PM (IST)

    नगर निगम के आयुक्त ज्ञानेश भारती ने 2022-23 के लिए संशोधित बजट अनुमान और 2023-24 के लिए बजट अनुमान चुनाव नतीजों के अगले दिन ही पेश कर दिया है। आचार संहिता के कारण आकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए।

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    15 दिसंबर तक लागू रहेगी चुनाव आचार संहिता

    नई दिल्ली जागरण संवाददाता। दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ज्ञानेश भारती ने वर्ष 2022-23 के लिए संशोधित बजट अनुमान और 2023-24 के लिए बजट अनुमान पेश किया है। आयुक्त ने विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार के समक्ष बजट प्रस्तुत किया। आचार संहिता के बीच पेश हुए इस बजट पर सभी की निगाहें टिकी थी। आचार संहिता के कारण ही आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। 

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    15 दिसंबर तक लागू रहेगी चुनाव आचार संहिता

    दिल्ली नगर निगम के एक्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर से पहले स्थायी समिति के अध्यक्ष के समक्ष बजट पेश करना अनिवार्य है। ऐसे में निगम पार्षदों के चुनाव नतीजों के ठीक एक दिन बाद बजट पेश कर दिया गया है। दिल्ली में 15 दिसंबर तक चुनाव आचार संहिता लागू हैं, इसलिए निगम ने फिलहाल बजट के आंकड़े प्रस्तुत नहीं किए हैं।

    बजट प्रकिया 15 फरवरी से पहले करनी होती पूरी

    सामान्यत: आयुक्त विभिन्न टैक्स में बढ़ोत्तरी के साथ कुछ नए टैक्स लगाने का प्रस्ताव करते आए हैं। हालांकि, ये निगम सदन से पारित नहीं हो पाए हैं। बता दें कि बजट की प्रक्रिया 15 फरवरी से पहले पूरी करनी होती है। अगर, निर्वाचित सदस्यों से सदन और स्थायी समिति का गठन हो जाता है तो इस बजट पर चर्चा वार्ड कमेटियों में भी होगी। स्थायी समिति और सदन के सदस्य इस पर चर्चा कर अंतिम रूप देंगे।

    अगर 15 फरवरी से पहले सदन और स्थायी समिति का गठन नहीं हुआ तो विशेष अधिकारी द्वारा इसे अंतिम रूप देकर लागू कर दिया जाएगा। एकीकृत निगम में 15,276 करोड़ रुपये का बजट बनाया गया था।

    सामान्यत: यह है प्रक्रिया

    बता दें कि दिल्ली नगर निगम बजट की प्रक्रिया काफी पारदर्शी रखने प्रयास करता है। सबसे पहले निगमायुक्त स्थायी समिति के सामने बजट पेश करते हैं जिसके बाद सभी वार्ड समितियों तक इसे चर्चा के लिए भेजा जाता है बता दें कि स्थायी समिति में भी दो पक्ष होते है।  सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर बजट पर चर्चा और बहस करते हैं इसके बाद अध्यक्ष इसे अंतिम रूप देकर बजट को सदन में भेजते हैं। सदन में पक्ष-विपक्ष के पार्षदों की बहस के बाद सदन के नेता द्वारा इस बजट को अंतिम रूप  दिया जाता है।  

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