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    उम्र की परवाह किये बगैर कोरोना में भी बिना वेतन गंगाराम संभाल रहे यातायात

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Thu, 27 Aug 2020 05:14 PM (IST)

    गंगाराम के हाथ के इशारे पर यातायात पूरी तरह अनुशासित तरीके से चलने लगता है। पिछले 32 वर्षों से रोजाना सुबह 9 से रात 10 बजे तक यातायात संभालते हैं। ...और पढ़ें

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    उम्र की परवाह किये बगैर कोरोना में भी बिना वेतन गंगाराम संभाल रहे यातायात

    नई दिल्ली [रितु राणा]। सीलमपुर लाल बत्ती से कभी गुजरेंगे तो आपको ढीली-ढाली वर्दी पहने, हाथ में डंडा लिए यातायात व्यवस्थित करते नजर आएंगे गंगाराम। उनके हाथ के इशारे पर यातायात पूरी तरह अनुशासित तरीके से चलने लगता है। पिछले 32 वर्षों से वह इसी जगह पर रोजाना सुबह 9 से रात 10 बजे तक यातायात पुलिस जैसी वर्दी पहने मुस्तैद हैं। कोरोना महामारी भी उनके नेक इरादों को रोक नहीं सकी। इस समय जब सब कोरोना के डर से घरों में ही रह रहे हैं। जब तक कोई जरूरी काम न हो कोई घर से बाहर नहीं निकल रहा, ऐसे हालातों में भी 72 वर्षीय गंगाराम अपने इरादों पर अडिग हैं। जबकि सरकार ने बुजुर्गों को तो विशेषकर घर के अंदर रहने की हिदायत दी है बावजूद इसके गंगाराम यह काम कर रहे हैं।  

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    32 वर्षों से बिना वेतन लिए संभाल रहे यातायात व्यवस्था

    गंगाराम पिछले 32 वर्षों से सीलमपुर पर यातायात व्यवस्था संभाल देख रहे हैं। पहले उनकी सीलमपुर में टीवी रिपेयरिंग की दुकान हुआ करती थी, वह वायरलेस वगैरह भी रिपेयर करते थे। उनके बेटे भी उनके साथ टीवी रिपेयरिंग का काम करते थे। एक दिन वायरलेस रिपेयर कराने आए पुलिस अधिकारी ने उनका यातायात  वार्डन का फॉर्म भर दिया, तब से वह सुबह -शाम इसी चौक पर यातायात सेवा दे रहे हैं। गंगाराम के इकलौते जवान बेटे भी सीलमपुर लाल बत्ती पर सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए थे, बेटे की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी भी गुजर गई,  जिसके बाद गंगाराम पूरी तरह अकेला हो गए। अब परिवार में बहु व पोता-पोती हैं। बेटे की मौत ने उनके इरादों को और पक्का कर दिया, फिर उन्होंने निश्चय ही कर लिया था कि अब जब तक उनके प्राण हैं वह यहीं यातायात सेवा देंगे ताकि किसी और के घर का चिराग न बुझ जाए।

    लोगों आते हैं, हाल-चाल पूछकर सेल्फियां भी लेते हैं

    गंगाराम को दिन भर हॉर्न, गाड़ियों की आवाज के बीच यातायात संभालना अच्छा लगता है। उन्होंने बताया कि अगर वह घर पर बैठ गए तो बीमार पड़ जाएंगे, इसलिए कोरोना में भी वह यहां रोजाना आते हैं। यहां आकर लोगों के बीच स्वस्थ महसूस करते हैं। अब यहां से गुजरने वाला हर कोई उन्हें जानने लगा है। लाल बत्ती से गुजरने वाले लोग ‘चचा’ कह के पुकारते हैं। बसें, स्कूटी, बाइक, कारें, ऑटो व रिक्शा चालक रुक-रुककर उनसे  हाथ मिलाते हैं, हालचाल पूछते हैं और सेल्फियां भी खींचवाते हैं। लोग बहुत प्यार व सम्मान देते हैं इसलिए कोरोना में भी खुद को यहां आने से रोक नहीं सके।

    निस्वार्थ सेवा भाव के लिए मिल चुके हैं कई सम्मान

    गंगाराम को हर वर्ष 15 अगस्त व 26 जनवरी को पुलिस व अन्य सामाजिक संगठनों की ओर से ढेरों मेडल व प्रशस्ति पत्र मिल चुके हैं। उनके पास कोई मोबाईल फोन नहीं रहता था। 15 अगस्त 2018 को करावल नगर परिवहन संघर्ष समिति के सदस्य तेज रावत ने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया और एक मोबाइल गिफ्ट कर सम्मानित किया। वहीं, मुख्यमंत्री, पुलिस प्रशासन द्वारा भी कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।

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