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शादी करने से पहले जरूर पढ़ें यह खबर, अब बरातियों की संख्या भी तय करेगी सरकार

इस नियम में दिल्ली में शादी के लिए फॉर्म हाउस मोटल या होटल में शादी समारोह के लिए मेजबान कितने मेहमानों को बुला सकता है? इसका फैसला समारोह स्थल के आधार पर होगा।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 02:46 PM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2019 08:10 AM (IST)
शादी करने से पहले जरूर पढ़ें यह खबर, अब बरातियों की संख्या भी तय करेगी सरकार
शादी करने से पहले जरूर पढ़ें यह खबर, अब बरातियों की संख्या भी तय करेगी सरकार

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दिल्ली में रहने वाले लोगों को जल्द ही जोर का झटका धीरे से लगने वाला है। दरअसल, दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) सरकार एक नया ड्राफ्ट लाने जा रही है, जिसमें शादी में बरातियों की संख्या सीमित होगी। बताया जा रहा है कि दिल्ली के लोगों के लिए जल्द ही शादी से जुड़े नए नियम आ सकते हैं। इस नियम में दिल्ली में शादी के लिए फॉर्म हाउस, मोटल या होटल में शादी समारोह के लिए मेजबान कितने मेहमानों को बुला सकता है? इसका फैसला समारोह स्थल के फ्लोर एरिया और इसकी पार्किंग क्षमता के आधार पर होगा। दिल्ली सरकार द्वारा मेहमानों की संख्या को निर्धारित करने और खाना व पानी की बर्बादी को रोकने के लिए एक नई ड्रॉफ्ट पॉलिसी में इन नियमों को बताया गया है। शादी-समारोह स्थल के बाहर रस्में, बैंड और बात व घोड़ा-गाड़ी की अनुमति बिल्कुल नहीं होगी। इसके अलावा ज्यादा या बचा हुआ खाना गरीबों में बांटा जाएगा। समारोह स्थल के बाहर सड़कों पर कार पार्क करने की अनुमति भी नहीं होगी।

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ऐसे समझें बरातियों का गणित

सूत्रों की मानें तो इसका मकसद भीड़-भाड़ कम करने से सड़कों पर अनियमितता को भी रोकना है। देखा गया है कि शादी-समारोह के दौरान न केवल लोग सड़कों पर कब्जा करते हैं, बल्कि गंदगी भी छोड़ देते हैं। जानकारी के मुताबिक, बरातियों की संख्या तय करने का मकसद अव्यवस्था को रोकना है। किसी शादी वेन्यू का एरिया 600 स्क्वायर मीटर तो वहां 400 बरातियों की अनुमति मिलेगी। दूसरी ओर अगर पार्किंग क्षमता 100 कारों की है तो 800 बराती इसमें शामिल हो सकते हैं। 

शादी समारोह और दूसरे सोशल फंक्शन में मेहमानों की संख्या को सीमित करने वाली इस ड्राफ्ट पॉलिसी को दिल्ली सरकार ने अपनी वेबसाइट पर पब्लिश किया है। इतना ही नहीं, 18 मार्च से पहले दिल्ली की जनता से इसके बारे में फीडबैक मांगा गया है। इस पॉलिसी नोटिफिकेशन के जरिए सरकार उन गेस्टहाउस व बैंक्वेट हॉल को बंद करना चाहती है जो सामाजिक कार्यक्रमों के लिए जरूरी नियम व शर्तों को पूरा नहीं करते।

मंजूरी के लिए आवेदन और शिकायत वेब पोर्टल पर होगी

शिकायत के लिए एक कॉमन पोर्टल बनेगा जिसमें सभी एजेंसी का एक्सेस मिलेगा। कार्यक्रम स्थल मालिक, ऑपरेटर या कार्यक्रम आयोजित करने वाले को आवेदन इस पोर्टल पर करेंगे। अंडरटेकिंग और फीस ऑनलाइन जमा करने पर संबंधित एजेंसियां चेक करेंगी और कार्यक्रम की मंजूरी मिलने या नहीं मिलने की जानकारी देंगी।

वहीं, नई नीतियों का उल्लंघन होने पर वेन्यू के ऑपरेटर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नियम के मुताबिक, अनियमितता पर 15 लाख रुपये का जुर्माना होगा। साथ ही ऐसी जगहों को तुरंत सील किया जाएगा। 

इससे पहले दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह तामझाम वाले शादी समारोहों में अतिथियों की संख्या सीमित करने और कैटरिंग व्यवस्था को संस्थागत करने की नीति पर विचार कर रही है। यह कदम ऐसे समारोहों में भोजन की बर्बादी रोकने के लिए उठाया जाएगा।

जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ को दिल्ली के मुख्य सचिव विजय कुमार देव ने बताया था कि छह दिसंबर के आदेश में कोर्ट द्वारा उठाए गए मुद्दे पर चर्चा की गई थी। कोर्ट ने शादी समारोहों में भोजन की बर्बादी और पानी के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी।

अदालत में मौजूद देव ने कहा कि कोर्ट ने पिछले सप्ताह जिस तरह से व्यवस्था दी थी उसके अनुरूप ही सरकार विचार कर रही है। अधिकारी दिल्ली के लोगों के हितों को संतुलित रखने में जुटे हैं। सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस हेमंत गुप्ता भी शामिल हैं।

पीठ ने अपने आदेश में कहा था ‘यह कहा गया है (मुख्य सचिव द्वारा) कि कुछ विकल्पों पर चर्चा की जा रही है। कम से कम दो विकल्प उपलब्ध हैं और दो रणनीति पर भी सक्रियता से विचार किया जा रहा है ताकि समारोह में भोजन की उपलब्धता और अतिथियों की संख्या सीमित की जा सके। भोजन की गुणवत्ता भी बनी रहे।’ देव ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर उपराज्यपाल से चर्चा की है। लगता है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल सहमत हैं।

पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य का भी जिक्र किया था कि मुख्य सचिव ने न्यायालय को सूचित किया है कि विवाह समारोहों में खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये एक रणनीति पर काम किया जा रहा है। सुनवाई के दौरान उस मोटल से संबंधित मामले पर भी विचार किया गया जिसे अग्नि सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करने के कारण स्थानीय निकाय ने नोटिस दिया है।

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