दिल्ली हाई कोर्ट ने माॅडल टाउन-2 में बच्चों के खेल मैदान को दी मंजूरी, पार्क की मांग खारिज, कहा-खेलना है जरूरी
दिल्ली हाई कोर्ट ने मॉडल टाउन-2 में बच्चों के खेल मैदान के निर्माण को सही ठहराया। अदालत ने कहा कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए यह ज़रूरी है। याचिकाकर्ताओं ने पार्क बनाने की मांग की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया क्योंकि इलाके में पहले से ही कई पार्क हैं। अदालत ने एमसीडी के फैसले को सही मानते हुए खेलकूद को शिक्षा का अभिन्न अंग बताया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने नगर निगम (एमसीडी) के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें माॅडल टाउन-2 इलाके की जमीन को बच्चों के खेल मैदान के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था। अदालत ने कहा कि यह बच्चों के शारीरिक व समग्र विकास के लिए जरूरी है।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की मांग कि जमीन को सार्वजनिक आर्नामेंटल (सजावटी) पार्क बनाया जाए, न्यायोचित नहीं है।
अदालत ने कहा कि आसपास पहले से ही कई पार्क मौजूद हैं, जिनमें 100 एकड़ का बड़ा पार्क भी शामिल है। लेकिन एमसीडी स्कूल के बच्चों के लिए मैदान की जरूरत अनिवार्य है।
याचिकाकर्ता (माडल टाउन-2 एफ ब्लाक के कुछ मकान मालिक और रेजिडेंट्स सोसाइटी) ने दलील दी थी कि एमसीडी ने पहले आश्वासन दिया था कि इस जमीन पर स्थायी स्कूल भवन नहीं बनेगा।
उन्होंने आगे कहा कि बाद में इसे पार्क में बदला जाएगा लेकिन निगम ने बहुमंजिला स्कूल इमारत बना दी और बाकी जमीन को भी पार्क में नहीं बदला।
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एमसीडी ने जवाब दिया कि यह जमीन शिक्षा विभाग के अंतर्गत आती है और इसका इस्तेमाल बच्चों के खेल मैदान के तौर पर करना ही सही है। इस फैसले से किसी भी निवासी की हवा और रोशनी पर असर नहीं पड़ता।
हाईकोर्ट ने एमसीडी के तर्कों को सही माना और कहा कि खेलकूद शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि फाइल नोटिंग के आधार पर पार्क की मांग वैधानिक अधिकार नहीं देती और याचिकाकर्ताओं का दावा सही नहीं है।

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