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    दिल्ली हाईकोर्ट ने शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर तेजाब हमले के दोषी दीपक की याचिका की खारिज

    Updated: Sun, 10 Aug 2025 07:41 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर तेजाब हमले के दोषी दीपक की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और कहा कि अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे अपराध साबित किया है। पीड़िता के भाई के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने यह फैसला दिया। घटना 2009 में हुई थी जब पीड़िता स्कूल जा रही थी।

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    तेजाब हमला मामले में ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका खारिज।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शादी के प्रस्ताव को ठुकराने पीड़िता पर तेजाब फेंकने के मामले में दोषी करार देने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषी दीपक की अपील याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि तथ्यों व फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे मामला साबित किया है।

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    वहीं, ट्रायल कोर्ट ने सही तरीके से अपीलकर्ता को दोषी करार दिया है । याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि पीड़िता के भाई ने अपने बयान में दोषी द्वारा रसीद बाजार के पास उसकी बहन पर तेजाब फेंके जाने की घटना का जिक्र किया है। वहीं, दूसरी तरफ चिकित्सा रिपोर्ट के अनुसार तेजाब फेंके जाने से पीड़िता 15 से 18 प्रतिशत तक जल गई थी।

    वहीं, पीड़िता के घर में तेजाब रखे होने के तर्क को अदालत ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि ऐसा कोई भी सुबूत नहीं है, जिससे पता चले कि पीड़िता घर पर तेजाब से एक्सिडेंटली जल गई थी। याचिका के अनुसार आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 16 वर्षीय पीड़िता 26 अगस्त 2009 को अपने स्कूल जा रही थी और जब वह गीता कालोनी के पास पहुंची तो दोषी दीपक एक अन्य व्यक्ति के साथ वहां आया। उसे देखकर वह डर गई और वहां से तेजी से जाने लगी।

    इस बीच दीपक ने उसे रोककर उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। मामले की सूचना मिलने पर गीता कालोनी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामले में प्राथमिकी कर जांच शुरू की। दीपक के खिलाफ जुलाई 2012 में आरोप तय किए गए। सभी तथ्यों को देखने के बाद अदालत ने सह-आरोपित को बरी करते हुए दीपक को दोषी करार दिया।

    साथ ही पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। ट्रायल कोर्ट के उक्त निर्णय को दोषी ने हाई कोर्ट ने चुनाैती दी थी। आरोपित पीड़िता द्वारा उसके शादी के प्रस्ताव को ठुकराये जाने से नाराज था। हालांकि, राहत देने से इन्कार करते हुए अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

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