10 साल की बच्ची से दुष्कर्म मामले में दिल्ली HC ने दोषसिद्धि रखी बरकरार, दो टूक-पीड़िता की गवाही पर्याप्त
दिल्ली हाई कोर्ट ने 10 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि बच्ची की गवाही विश्वसनीय है और उसी के आधार पर दोषसिद्धि हो सकती है। दोषी ने बच्ची को चाउमीन का लालच देकर दुष्कर्म किया और धमकी दी थी। डर के कारण बच्ची चुप रही लेकिन बाद में प्राथमिकी दर्ज हुई।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 10 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी करार देने के निर्णय को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि बच्ची की गवाही विश्वसनीय और भरोसेमंद है और सिर्फ उसकी गवाही के आधार पर दोषसिद्धि हो सकती है।
अदालत ने इसके साथ ही दोषी करार दिए गए अपीलकर्ता टोनी की अपील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि स्थापित कानून के तहत अगर पीड़िता घटना की एकमात्र गवाह भी है, तो भी अगर उसकी गवाही विश्वसनीय और भरोसेमंद पाई जाती है, तो दोषसिद्धि बरकरार रखी जा सकती है।
प्राथमिकी के अनुसार दोषी बच्ची के स्कूल के पास एक लकड़ी की दुकान में काम करता था और चाउमीन व कचौड़ी जैसी चीजें खाने का लालच देकर वह अपनी दुकान के अंदर बार-बार उसके साथ दुष्कर्म करता था।
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उसने यह भी धमकी दी कि अगर नाबालिग ने इस बारे में किसी को बताया कि उसे नाले में डुबो देगा या लकड़ी के टुकड़े की तरह काट डालेगा।
डर के कारण लंबे समय तक नाबालिग ने इस बारे में किसी को नहीं बताया। हालांकि, बाद में मामले में प्राथमिकी हुई और तथ्यों को देखते हुए ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को दोषी करार दिया था। उक्त निर्णय को दोषी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
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