मानहानि मामले में एमजे अकबर की अपील MP-MLA कोर्ट को ट्रांसफर, प्रिया रमानी को 2021 में किया गया था बरी
दिल्ली हाई कोर्ट ने एमजे अकबर की याचिका को एमपी-एमएलए बेंच में स्थानांतरित कर दिया है जिसमें उन्होंने प्रिया रमानी को बरी करने के आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा कि चूंकि यह मामला एक पूर्व सांसद से संबंधित है इसलिए इसे विशेष बेंच को ही सुनना चाहिए। अकबर ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है जिसमें रमानी को बरी कर दिया गया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद एमजे अकबर की उस अपील को एमपी व एमएलए बेंच को स्थानांतरित कर दिया है, जिसमें उन्होंने पत्रकार प्रिया रमानी की बरी होने के आदेश को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने कहा कि चूंकि यह मामला एक पूर्व सांसद से संबंधित है, इसलिए इसे विशेष रूप से सांसदों और पूर्व सांसदों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली बेंच को ही सुनना चाहिए। यह मामला न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की पीठ के समक्ष अब 15 अक्टूबर को सुना जाएगा। अकबर ने ट्रायल कोर्ट के 17 फरवरी 2021 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें प्रिया रमानी को बरी कर दिया गया था। उस समय अदालत ने कहा था कि एक महिला को अपने अनुभव और शिकायत किसी भी मंच पर रखने का अधिकार है, भले ही वह घटना वर्षों पुरानी क्यों न हो।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 2022 को अकबर की अपील पर सुनवाई करने का निर्णय लिया था और रमानी को नोटिस जारी किया था। अकबर की ओर से दायर अपील में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने उनके आपराधिक मानहानि के मामले को अनुमान और अटकलों के आधार पर निपटाया और इसे यौन उत्पीड़न का मामला मानकर गलत दृष्टिकोण अपनाया। अकबर की ओर से पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों और कानूनी सिद्धांतों को सही तरह से नहीं परखा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में मीटू आंदोलन के दौरान प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे। इसके बाद अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। दो दिन बाद, 17 अक्टूबर को, उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यह शर्मनाक है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध उस देश में हो रहे हैं जहां महाकाव्यों, महाभारत और रामायण में महिलाओं के सम्मान की बात लिखी गई है। अदालत ने कहा था कि अकबर अपने आरोप साबित करने में नाकाम रहे, इसलिए प्रिया रमानी को बरी किया जाता है।
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