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दिल्ली HC की सख्त टिप्पणी, कहा- 1984 सिख विरोधी दंगे से अब भी कराह रहा है देश

1984 सिख विरोधी दंगे में पर्याप्त फोर्स उपलब्ध कराने में नाकाम रहे 79 वर्षीय सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी दुर्गा प्रसाद को सक्षम प्राधिकारी को दंडित करने की स्वतंत्रता देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कि दंगे से देश अब भी कराह रहा है।

By GeetarjunEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2022 09:26 PM (IST)Updated: Mon, 12 Sep 2022 09:26 PM (IST)
दिल्ली HC की सख्त टिप्पणी, कहा- 1984 सिख विरोधी दंगे से अब भी कराह रहा है देश
दिल्ली HC की सख्त टिप्पणी, कहा 1984 सिख विरोधी दंगे से अब भी कराह रहा है देश

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। 1984 सिख विरोधी दंगे में पर्याप्त फोर्स उपलब्ध कराने में नाकाम रहे 79 वर्षीय सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी दुर्गा प्रसाद को सक्षम प्राधिकारी को दंडित करने की स्वतंत्रता देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कि दंगे से देश अब भी कराह रहा है। उम्र के आधार पर राहत की मांग को ठुकराते हुए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याची 100 वर्ष का हो सकता है, लेकिन इनका कदाचार देखें।

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कोर्ट ने कहा कि निर्दोष लोगों की जान चली गई, लेकिन सेवानिवृत्ति अधिकारी पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराने, निवारक कदम उठाने और हिंसा के दौरान उपद्रवियों अलग-थलग करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में विफल रहे। ऐसे में राहत पाने में 79 वर्ष की उम्र मदद नहीं करेगी। पीठ ने उक्त टिप्पणी किंग्सवे कैंप थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी दुर्गा प्रसाद की अपील याचिका पर की।

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कदाचार का ठहराया था दोषी

अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने दुर्गा प्रसाद को सिख विरोधी दंगों के दौरान कदाचार का दोषी ठहराया था और इस निर्णय को प्रसाद ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के समक्ष चुनौती दी थी। हालांकि, कैट से भी राहत नहीं मिलने पर प्रसाद ने हाई कोर्ट का रुख किया। दुर्गा प्रसाद ने इस आधार पर कैट के निर्णय को चुनौती दी कि उसे केवल निर्णय के बाद की सुनवाई की अनुमति दी गई थी।

याची के खिलाफ गंभीर थे आरोप

आदेशों को रद करते हुए पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप गंभीर थे। पीठ ने इसके साथ ही अनुशासनात्मक प्राधिकरण को असहमति का ताजा नोट जारी करने की स्वतंत्रता दी।

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साथ ही अपीलकर्ता प्रसाद को चार सप्ताह के भीतर इसका जवाब देने को कहा। पीठ ने कहा कि इसके बाद अनुशासनात्मक प्राधिकारी कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। याचिकाकर्ता ने सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर ली है और इसलिए सक्षम प्राधिकारी सेवानिवृत्ति की तारीख और पेंशन नियमों को ध्यान में रखते हुए सजा का उचित आदेश पारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

जब दंगा भड़का तो प्रसाद किंग्सवे पुलिस स्टेशन के एसएचओ के रूप में तैनात थे। इस क्षेत्र में 15 सिख मारे गए और कई गुरुद्वारों, घरों और कारखानों में आग लगा दी गई।


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