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    'ऐसे स्कूलों को बंद कर देना चाहिए जो...', दिल्ली हाईकोर्ट सख्त; छात्रों के पक्ष में कही ये बात

    By Vineet Tripathi Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Wed, 16 Apr 2025 07:35 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने फीस न देने पर छात्रों के साथ अपमानजनक व्यवहार के मामले में दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारका को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि फीस न देने पर छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करना या क्लास में न आने देना गलत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्रों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करने वाले स्कूल को बंद कर देना चाहिए।

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    छात्रों के अपमान पर हाई कोर्ट सख्त। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। फीस न देने पर छात्रों के साथ अपमानजनक व्यवहार करने से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने द्वारका के दिल्ली पब्लिक स्कूल को फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट को इस बात की चिंता है कि स्कूल प्रबंधन ने छात्रों के साथ घटिया और अमानवीय व्यवहार किया।

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    कोर्ट ने कहा कि फीस न देने पर छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करके और क्लास में न आने देकर अपमानित नहीं किया जा सकता। फीस न देने से इस तरह का व्यवहार करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।

    दुर्व्यवहार करने वाले स्कूल को बंद कर दिया जाना चाहिए

    एक छात्र द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि छात्रों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करने वाले स्कूल को बंद कर देना चाहिए। कोर्ट की कार्यवाही के दौरान कई छात्र अपने अभिभावकों के साथ स्कूल यूनिफॉर्म, किताबें और बैग पहनकर मौजूद थे।

    कोर्ट ने कहा कि छात्रों का उत्पीड़न रोकने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय किए जाने की जरूरत है, क्योंकि स्कूल केवल पैसे कमाने की मशीन के तौर पर चलाए जा रहे हैं।

    इस बीच, न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण-पश्चिम) की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय निरीक्षण समिति की निरीक्षण रिपोर्ट का अवलोकन किया। इसने फीस वृद्धि विवाद के बीच छात्रों के खिलाफ कई भेदभावपूर्ण व्यवहारों की ओर इशारा किया था।

    स्कूल में चिंताजनक स्थिति उजागर

    नाराज छात्रों के अभिभावकों ने दावा किया कि स्कूल के अधिकारियों ने अनधिकृत शुल्क का भुगतान न करने के लिए उनके बच्चों को परेशान किया। न्यायालय ने कहा कि समिति की रिपोर्ट ने स्कूल में चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है।

    सुनवाई के दौरान छात्रों ने दावा किया कि वे स्वीकृत फीस राशि का भुगतान करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, स्कूल प्रबंधन की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि छात्रों को दिसंबर में ही कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन वे मार्च तक बकाया राशि का भुगतान नहीं कर सके और उसके बाद उन्हें स्कूल न आने के लिए कहा गया।

    मान्यता रद करने की कार्रवाई को लेकर भेजा है नोटिस: डीओई

    वहीं, दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने पीठ को बताया कि उन्होंने 8 अप्रैल को स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और प्रबंधन से सात दिनों के भीतर यह बताने को कहा था कि उसके खिलाफ मान्यता रद्द करने की कार्रवाई क्यों न की जाए।

    छात्रों को कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दें स्कूल प्रबंधन

    मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिया कि वह छात्रों को कक्षाओं में आने दे और उन्हें अन्य छात्रों से अलग न करे। इतना ही नहीं, स्कूल प्रबंधन ऐसे छात्रों को न तो स्कूल में अपने दोस्तों से मिलने-जुलने से रोकेगा और न ही उन्हें सुविधाओं से वंचित करेगा।

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