आखिर दिल्ली हाई कोर्ट ने CBI को क्यों लगाई फटकार... पूछा- अब तक DDA अधिकरियों क्यों नहीं की एफआईआर ?
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के घटिया निर्माण मामले में डीडीए अधिकारियों और अन्य दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में देरी पर फटकार लगाई। अदालत ने सीबीआई की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए पूछा कि निजी ठेकेदारों के खिलाफ मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया। सीबीआई ने अधिकारियों से अनुमति मिलने में देरी की बात कही।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) को मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के घटिया निर्माण में शामिल दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने में ढिलाई बरतने के लिए फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की पीठ ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि सीबीआई इस मामले में गंभीरता से दिलचस्पी नहीं ले रही है क्योंकि सीबीआई का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी अदालत में मौजूद नहीं है।
पीठ ने कहा कि अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि सीबीआई ने निजी ठेकेदारों और परीक्षण एजेंसियों के खिलाफ आज तक कोई मामला क्यों दर्ज नहीं किया है। जिसके लिए धारा 17ए के तहत अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने उक्त टिप्पणी तब कि जब जब फ्लैट मालिकों के वकील अजय अग्रवाल ने डीडीए और अन्य एजेंसियों के दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने के अदालत के निर्देश के खिलाफ अपील की।
वहीं, सीबीआई के अधिवक्ता अनुपम शर्मा ने कहा कि पिछले दो वर्षों से जांच एजेंसी डीडीए से अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए आवश्यक सतर्कता जांच रिपोर्ट और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराने का अनुरोध कर रही है।
यह भी तर्क दिया कि निजी ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई बिना अनुमति के नहीं हो सकती, क्योंकि जांच लोक सेवकों की संलिप्तता पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि अगर अदालत बिना अनुमति प्राप्त किए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देती है, तो एजेंसी तुरंत कार्रवाई शुरू कर देगी।
मामले पर ताजा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए पीठ ने मामले की सुनवाई 18 सितंबर तय कर दी। अदालत निर्माण में शामिल डीडीए अधिकारियों और ठेकेदारों के आचरण की विशेष जांच दल (एसआईटी) या सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
336 फ्लैटों वाले सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स का निर्माण डीडीए ने 2007 और 2010 के बीच किया था। कुछ ही वर्षों में इसकी संरचनात्मक खराब होने लगी और 2023 में आईआईटी दिल्ली की एक रिपोर्ट ने पुष्टि की कि इमारतें असुरक्षित हैं।
दिसंबर 2024 में अदालत ने इमारतों को रहने के लिए असुरक्षित घोषित करते हुए ध्वस्तीकरण और पुनर्निर्माण की अनुमति दी थी दी। साथ ही सीबीआई को जांच करने कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
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