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    जज पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना वकील को पड़ा भारी, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाई 4 महीने की सजा

    Updated: Thu, 07 Nov 2024 04:05 PM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक वकील को जज के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने और उनके खिलाफ बार-बार आधारहीन शिकायतें दर्ज करने के आरोप में चार महीने की जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पाया कि वकील ने अपने कार्यों के लिए कोई पश्चाताप या माफी नहीं मांगी। उनके व्यवहार का स्पष्ट रूप से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को बदनाम करने और धूमिल करने का इरादा था।

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    दिल्ली HC ने एक वकील को आपराधिक अवमानना ​​​​के लिए चार महीने जेल की सजा सुनाई।

    एएनआई, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक वकील को आपराधिक अवमानना ​​​​के लिए चार महीने जेल की सजा सुनाई है।  हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने और उनके एवं पुलिस अधिकारियों के खिलाफ बार-बार आधारहीन शिकायतें दर्ज करने का दोषी पाए जाने के बाद यह फैसला सुनाया।

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    न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने 6 नवंबर, 2024 को आदेश पारित किया। पीठ ने पाया कि वकील ने अपने कार्यों के लिए कोई पश्चाताप या माफी नहीं मांगी। उनके व्यवहार का स्पष्ट रूप से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को बदनाम करने और धूमिल करने का इरादा था।

    आरोपी वकील पश्चाताप या माफी मांगने में विफल रहे

    हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि इस न्यायालय के न्यायिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और न्यायाधीशों के खिलाफ अवमाननाकर्ता द्वारा 30 से 40 शिकायतें दर्ज करना स्पष्ट रूप से न्यायालय को बदनाम करने और इसकी गरिमा एवं अधिकार को कमजोर करने के उनके इरादे को दर्शाता है। पिछले कुछ अवसरों पर सुने जाने के बावजूद अवमाननाकर्ता अपने आचरण के लिए कोई पश्चाताप या माफी व्यक्त करने में विफल रहा।

    न्यायाधीश पर आरोप लगाना पूरी तरह अस्वीकार्य: दिल्ली HC

    हाईकोर्ट ने आगे कहा कि अवमाननाकर्ता द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को विभिन्न मजिस्ट्रेटों, सत्र और जिला न्यायाधीशों के साथ-साथ इस न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों द्वारा उचित रूप से संबोधित किया गया था। अदालत ने कहा कि ऐसे मामले तुच्छ और आधारहीन शिकायतों का विषय नहीं होने चाहिए। इसके अतिरिक्त, अदालत द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के अपने लिखित जवाब में जिस तरह से अवमाननाकर्ता ने एकल न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न आरोप लगाए, उन्हें पूरी तरह से अस्वीकार्य माना गया।

    सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए सजा निलंबित की मांग

    कोर्ट ने आगे कहा कि इस स्तर पर अवमाननाकर्ता ने कुछ समय के लिए सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया, ताकि उसे आज पारित आदेश के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करने का समय मिल सके। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अवमाननाकर्ता को पिछली सुनवाई में वकील द्वारा प्रतिनिधित्व करने के लिए बार-बार अवसर दिए गए थे, लेकिन उसने व्यक्तिगत रूप से मामले पर बहस करने का विकल्प चुना। फिर भी न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि अवमाननाकर्ता वकील की सहायता चाहता है, तो दिल्ली उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति (डीएचसीएलएससी) उसे कानूनी सहायता प्रदान करेगी।

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