ई-कॉमर्स डिलीवरी राइडर नहीं मानते यातायात नियम... याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने ई-कॉमर्स डिलीवरी राइडर्स द्वारा यातायात नियमों के उल्लंघन पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार को नीति से संबंधित रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने डिलीवरी कर्मियों द्वारा भारी सामान ढोने के लिए दोपहिया वाहनों के इस्तेमाल का आरोप लगाया है। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: ई-काॅमर्स डिलीवरी राइडर्स की ओर से यातायात नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दायर की गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली पुलिस आयुक्त को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई आठ अक्टूबर तक के लिए निर्धारित कर दी।
याचिकाकर्ता व वकील शशांक श्री त्रिपाठी ने क्विक काॅमर्स और ई-काॅमर्स प्लेटफार्म के डिलीवरी पार्टनर्स द्वारा मोटर वाहन अधिनियम और केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के व्यापक, निरंतर और अनियंत्रित उल्लंघन का आरोप लगाया।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि वे दोपहिया वाहनों के लिए पहले ही एक नीति ला चुके हैं और दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना- 2023 को 21 नवंबर 2023 को अधिसूचित किया गया था।
इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार को नीति से संबंधित रिकार्ड अदालत के समक्ष पेश करने के साथ ही संबंधित अधिकारियों से नीति के संदर्भ में उनके द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण पेश करने का निर्देश दिया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि विभिन्न प्लेटफार्मों द्वारा नियोजित या अनुबंधित डिलीवरी कर्मी नियमित रूप से औद्योगिक टूलकिट, फोल्डेबल फर्नीचर और वाणिज्यिक आकार के डिलीवरी बाॅक्स सहित अत्यधिक भारी सामान के परिवहन के लिए दोपहिया वाहनों का उपयोग करते हैं।
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