दिल्ली हाई कोर्ट ने डीयू और कॉलेज से मांगा जवाब, शिक्षक और संस्थान की लापरवाही से पूरी क्लास फेल होने का आरोप
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षक और संस्थान की लापरवाही के चलते एक छात्रा और उसकी कक्षा को अनुत्तीर्ण घोषित करने के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय और एक कॉलेज से जवाब मांगा है। बीए अंतिम वर्ष की छात्रा ने आरोप लगाया कि उसे प्रायोगिक परीक्षा में गलत तरीके से एफ ग्रेड दिया गया क्योंकि अंक पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए। शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शिक्षक और उसके संस्थान की लापरवाही के कारण परीक्षा में एक छात्रा और उसकी पूरी कक्षा को अनुत्तीर्ण घोषित किए जाने के दावे से जुड़ी याचिका पर दिल्ली हाई काेर्ट ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय और एक काॅलेज से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय और भगिनी निवेदिता काॅलेज को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
बीए अंतिम वर्ष की एक छात्रा ने याचिका दायर कर दावा किया कि शैक्षणिक सत्र 2024-2025 के अपने छठे सेमेस्टर के परिणाम में भारत में दिव्यांग बच्चे विषय की प्रायोगिक परीक्षा में उसे मनमाने और अन्यायपूर्ण तरीके से एफ ग्रेड दिया गया।
याचिकाकर्ता ने सैद्धांतिक, आंतरिक मूल्यांकन और बाह्य प्रायोगिक परीक्षा में शामिल होने का दावा किया, जिसमें प्रायोगिक फाइल मूल्यांकन, मौखिक परीक्षा और लिखित परीक्षा शामिल है।
छात्रा ने दावा किया कि उन्हें सैद्धांतिक और आंतरिक प्रायोगिक दोनों ही विषयों में अच्छे अंक मिले हैं, लेकिन संबंधित शिक्षक और कालेज प्रशासन की लापरवाही और कुप्रबंधन के कारण, बाह्य प्रायोगिक परीक्षा के अंक विश्वविद्यालय के पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए।
छात्रा की तरफ से पेश हुए वकील आशु बिधूड़ी ने कहा कि इसके कारण याचिकाकर्ता सहित पूरी कक्षा को उक्त विषय के प्रायोगिक भाग में अनुचित रूप से अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया है।
काॅलेज और डीयू प्रशासन को ईमेल और अन्य माध्यमों से बार-बार शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
याचिका में कहा गया है कि संबंधित शिक्षक और काॅलेज प्रशासन त्रुटि को ठीक करनेक के बजाय एक-दूसरे पर दोष मढ़ने में लगे रहे और याचिकाकर्ता और इसी तरह से प्रभावित अन्य छात्रों को कोई समाधान नहीं मिला।
छात्रा ने अदालत से अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया कि वे प्रैक्टिकल परीक्षा में प्राप्त वास्तविक अंकों को शामिल करें।
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