छात्रों को मानसिक प्रताड़ना से बचाएं स्कूल, जानें- HC ने किस दर्दनाक हादसे के बाद की यह टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की पीठ ने यह टिप्पणी नारायणा विहार स्थित ज्ञान मंदिर पब्लिक स्कूल की बायोलॉजी की टीचर रितिका की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए की।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। बच्चों को स्कूल में हर तरह की प्रताड़ना से बचाने की जरूरत है, फिर चाहे व मानसिक हो या फिर शारीरिक। इसमें कोई दोराय नहीं है कि नाजुक उम्र के बच्चों का बहुत खयाल रखने की जरूरत है। उक्त टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की पीठ ने नारायणा विहार स्थित ज्ञान मंदिर पब्लिक स्कूल की बायोलॉजी की टीचर रितिका की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए की। शिक्षिका पर छात्रा को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप है। छात्रा ने खुदकशी कर ली थी।
पीठ ने कहा कि छात्र ने सुसाइड नोट में स्पष्ट तौर पर क्लास टीचर आरती व बायोलॉजी की टीचर रितिका का नाम लिखा था। गवाहों ने भी बयान दिया है कि रितिका ने छात्रा के लिए द्वेषपूर्ण शब्दों का प्रयोग करते हुए चरित्रहीन तक कहा था। अग्रिम जमानत याचिका पर अपने फैसले में अदालत ने कहा कि इस तरह के शब्द मासूम बच्चे के दिमाग को आघात पहुंचा सकते हैं और इसी वजह से छात्रा ने खुदकशी करने जैसा गंभीर कदम उठाया। यह असंभव है कि छोटी उम्र की छात्रा बिना किसी कारण के अपनी शिक्षिका पर झूठा आरोप लगाएगी। प्राथमिक तौर पर याचिकाकर्ता पर आत्महत्या की धमकी का सीधा और गंभीर आरोप है और प्राथमिक तौर पर इन तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
एक छात्रा ने अदालत में बयान दिया कि उसकी दोस्त ने उसे बताया था कि बायोलॉजी शिक्षिका रितिका ने उसे चरित्रहीन कहा था। जब उसने 30 नवंबर 2018 को पीड़ित छात्रा को खेलने के लिए कहा तो उसने बताया था कि बायोलॉजी की शिक्षिका ने उसे कहा कि तुम परिवार का नाम खराब कर रही हो, जाओ और मर जाओ। छात्रा की मां ने भी बेटी द्वारा शिक्षिका की शिकायत करने की बात कही थी।
यह था पूरा मामला
नारायणा विहार ई-ब्लाक स्थित ज्ञान मंदिर पब्लिक स्कूल में सातवीं में पढ़ने वाली छात्रा ने घर में खुदकशी कर ली थी। छात्रा की मां तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं। आरोप है कि 30 नवंबर को घर आने के बाद छात्रा ने मां से कहा था कि वह एक दिसंबर को स्कूल नहीं जाएगी। एक दिसंबर को मां अदालत चली गईं, लेकिन जब उन्हें पता चला कि बेटी ट्यूशन नहीं गई तो वह घर पहुंचीं। दरवाजा तोड़कर जब वह अंदर गईं तो कमरे में बेटी का शव लटक रहा था। उसने सुसाइड नोट में व हाथ पर लिखा था कि उसकी मौत की खबर स्कूल तक जरूर पहुंचाना। पत्र में उसने शिक्षिका आरती और बायोलॉजी शिक्षिका रितिका का नाम लिखा था।
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