अवैध संबंध के आरोप से अधिक दर्दनाक कुछ और नहीं हो सकताः HC
कानून का यह तय सिद्धांत है कि अगर यह आरोप झूठे निकलते हैं तो यह क्रूरता है और तलाक का आधार है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। किसी व्यक्ति के लिए पत्नी द्वारा लगाए गए अवैध संबंध के आरोप से अधिक दर्दनाक कुछ और नहीं हो सकता। यह कहते हुए हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उसने तलाक की मांग की थी।
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की खंडपीठ ने कहा कि अवैध संबंध के आरोप काफी गंभीर होते हैं। कानून का यह तय सिद्धांत है कि अगर यह आरोप झूठे निकलते हैं तो यह क्रूरता है और तलाक का आधार है। अदालत ने कहा कि दंपती 1995 से अलग रह रहा है।
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1996 में पति ने क्रूरता के आधार पर निचली अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। 2001 में पत्नी द्वारा सौहार्दपूर्ण तरीके से साथ रहने के दिए गए आश्वासन के बाद उसने यह याचिका वापस ले ली, लेकिन याची ने 2009 में फिर यह कहते हुए याचिका दायर की कि उसकी पत्नी उसके साथ रहने नहीं आई है, लेकिन निचली अदालत ने उसकी याचिका रद कर दी थी। इसके बाद उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की स्वीकृति मांगी थी।
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