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    दूसरी महिला के साथ रहना पति को तलाक से वंचित नहीं करता, दिल्ली HC ने किस आधार पर की ये टिप्पणी?

    By Vineet TripathiEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Fri, 15 Sep 2023 05:06 PM (IST)

    तलाक से जुड़े पारिवारिक अदालत के निर्णय को उचित करार देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। दूसरी महिला के साथ रहने वाले पति को पत्नी द्वारा क्रूरता के सिद्ध आधार पर तलाक मांगने से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने पत्नी की अपील याचिका खारिज करते हुए कहा कि शादी के पहले दिन से ही खुशियों के बजाय चट्टानों का बिस्तर बन गई।

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    दूसरी महिला के साथ रहना पति को तलाक से वंचित नहीं करता

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। तलाक से जुड़े पारिवारिक अदालत के निर्णय को उचित करार देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि दूसरी महिला के साथ रहने वाले पति को पत्नी द्वारा क्रूरता के सिद्ध आधार पर तलाक मांगने से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी से लंबे समय तक अलग रहने और तलाक की याचिका लंबित रहने के दौरान पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं होने पर तलाक से वंचित नहीं किया जा सकता है।

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    पारिवारिक अदालत का आदेश बरकरार

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने कहा कि पत्नी द्वारा आपराधिक मामलों में लगाए गए क्रूरता के आरोपों को तलाक की कार्यवाही में प्रमाणित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि विभिन्न एजेंसियों में पति के विरुद्ध बार-बार की गई शिकायतों को क्रूरता के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता है। खास बात है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 13(1) (आईए) के तहत पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर पति को तलाक देने के पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की है।

    पत्नी की याचिका को कोर्ट ने खारिज की

    कोर्ट ने पत्नी की अपील याचिका खारिज करते हुए कहा कि दोनों की शादी दिसंबर 2003 में हुई थी। हालांकि, शादी के पहले दिन से ही खुशियों के बजाय चट्टानों का बिस्तर बन गई। बता दें कि पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी एक झगड़ालू महिला थी जो उसके आने वाले रिश्तेदारों का बिल्कुल भी सम्मान नहीं करती थी और घर का काम करने से भी कतराती थी।

    महिला ने पति और उसके परिवारवालों को दी थी धमकी

    दिल्ली की हाई कोर्ट बेंच ने कहा कि पत्नी का झगड़ालू स्वभाव वर्ष 2011 में अदालती कार्यवाही के दौरान उसके द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी में नजर आया था। महिला ने पति और उसके परिवार के सदस्यों को जेल भेजने और जान से मारने की धमकी दी थी। 

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    हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि जो व्यक्ति भरी अदालत में पति और उसके परिवार के सदस्यों को धमकाने और झगड़ा करने में संकोच नहीं करता है। ये घटनाएं स्पष्ट रूप से साबित करती हैं कि पत्नी और उसके परिवार के सदस्य झागड़ालू थे और महिला ने पति पर शारीरिक क्रूरता की थी।

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