Delhi High Court ने जताई सख्त नाराजगी, भर्ती प्रक्रिया में देरी होने पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) में खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर सख्त नाराजगी जताई है। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आश्वासन के बाद भी भर्ती प्रक्रिया क्यों नहीं पूरी हुई। इस मामले में अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) में खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त नाराजगी व्यक्त की।
अदालत ने मामले में केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुई एएसजी अर्चना पाठक दवे से पूछा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारी ने हलफनामा दाखिल कर फरवरी 2025 तक पूरी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। एएसजी ने अदालत से कुछ समय की मोहलत मांगते हुए कहा कि इसे जल्द किया जाएगा और जानबूझकर ऐसा नहीं किया गया।
प्रक्रिया पूरी नहीं कर जानबूझकर किया उल्लंघन: हाईकोर्ट
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अदालत में बयान देने के बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं कर जानबूझकर उल्लंघन किया गया है। अदालत ने सवाल किया कि अक्टूबर 2024 में चयन समिति ने नाम तय करके उपराज्यपाल को भेज दिए और जनवरी में यह सूची फाइनल करने के लिए गृह मंत्रालय को भेजी गई। जनवरी में गृह मंत्रालय के सचिव ने अदालत में कहा कि 14 फरवरी तक भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, लेकिन दो महीने बाद भी कुछ नहीं हुई।
अदालत ने मामले को गंभीर बताते हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा से कहा कि वह इस मामले में सरकार से निर्देश लें और सात अप्रैल को अदालत को सूचित करें। अदालत ने कहा कि जब नाम मंत्रालय को भेज दिए गए हैं तो फिर इसे अंतिम रूप देने में महीनों का समय क्यों लग रहा है, आखिर यह बच्चों से जुड़ा मामला है।
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अदालत ने यह निर्देश जेजे बोर्ड व सीडब्ल्यूसी में खाली पदों को जल्द भरने की मांग को लेकर बचपन बचाओ आंदोलन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान संगठन की तरफ से पेश हुई अधिवक्ता प्रभसहाय कौर ने पीठ को सूचित किया गया कि अब तक भर्ती के लिए नामों को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के अधिकतर चाइल्ड वेलफेयर कमेटियां कोरम के अभाव में काम नहीं कर रही हैं।

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