बिना उचित कारण किसी व्यक्ति को आरोपित के रूप में समन जारी नहीं करना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने 98 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले में एक व्यक्ति को जारी समन रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को बिना उचित कारण के किसी व्यक्ति को आरोपी के रूप में समन जारी नहीं करना चाहिए। अदालत ने कहा कि समन बिना सोचे-समझे जारी किए गए थे और कंपनी बकाया वसूली के लिए दीवानी कार्यवाही को आपराधिक रूप देने की कोशिश कर रही थी।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए 98 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले में एक व्यक्ति को जारी समन को रद कर दिया कि ट्रायल कोर्ट को बिना किसी उचित कारण के किसी व्यक्ति को आरोपी के रूप में समन जारी नहीं करना चाहिए।
न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि समन जारी करना एक गंभीर मुद्दा है और समन आदेश में विवेक का प्रयोग होना चाहिए। पीठ ने कहा कि समन बिना सोचे-समझे और सामग्री की जांच किए बिना जारी किए गए थे और कंपनी ने बकाया वसूली के लिए दीवानी कार्यवाही को आपराधिक रूप देने की कोशिश की।
2013 के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की
अपीलकर्ता ने ट्रायल कोर्ट के 28 सितंबर 2013 के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। इसमें व्यक्ति को आरोपित के रूप में समन किया गया था। यह मामला स्टाक का व्यापार करने वाली कंपनी मेसर्स इंडियाबुल्स सिक्योरिटीज लिमिटेड द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत दायर की गई शिकायत से जुड़ा है।
बेईमानी से कंपनी को अपने नाम से खाता खोलने के लिए प्रेरित
कंपनी ने आरोप लगाया था कि व्यक्ति ने बेईमानी से कंपनी को अपने नाम से खाता खोलने के लिए प्रेरित किया और मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा का लाभ उठाया। वहीं, अपीलकर्ता व्यक्ति ने तर्क दिया कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप बेतुके थे। यह भी कहा कि कंपनी ने उसके स्पष्ट निर्देशों के बिना उसके सात करोड़ रुपये के शेयर बेचकर उसे नुकसान पहुंचाया है। वहीं, कंपनी को याचिका को निराधार बताते हुए कहा कि आदेश पारित होने के सात साल बाद अपील याचिका दायर की गई थी।
दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद पीठ ने माना कि ट्रायल कोर्ट का आदेश अनुचित था और याचिकाकर्ता के खिलाफ समन मनमाने ढंग से जारी किया गया था। पीठ ने कहा कि आरोपों में आपराध का कोई तत्व नहीं पाया गया है और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखना कानून का दुरुपयोग होगा।
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