'दो वयस्क जीवनसाथी चुनने के लिए स्वतंत्र, परिवार की अस्वीकृति बाधा नहीं', दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दो बालिगों को अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार है परिवार की असहमति इस अधिकार को कम नहीं कर सकती। अदालत ने एक जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने का आदेश दिया क्योंकि उन्होंने परिवार से धमकियां मिलने की शिकायत की थी। अदालत ने दिल्ली पुलिस को धमकी मिलने पर तत्काल सहायता करने का निर्देश दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। स्वजन की मर्जी के खिलाफ शादी करने वाले एक जोड़े के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक अस्वीकृति दो वयस्कों को अपना जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता को कम नहीं कर सकती है।
न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने कहा कि दो वयस्कों का एक-दूसरे को जीवनसाथी चुनने और शांति से साथ रहने का अधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत यह उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता, निजता और गरिमा का एक पहलू है।
उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने याची जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया। याचिका दायर कर दंपति ने कहा कि शादी करने से नाराज उनके स्वजन से उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने की बार-बार धमकियां मिल रही हैं।
महिला ने अपनी मर्जी से शादी करने की पुष्टि की: दिल्ली पुलिस
याची ने कहा कि उनकी पत्नी के स्वजन उनके रिश्ते के खिलाफ हैं और वह लगातार अपनी बेटी को निशाना बनाकर धमकियां दे रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने पीठ को सूचित किया गया कि महिला ने अपनी इच्छा से शादी करने की पुष्टि की है और अपने माता-पिता का घर छोड़ दिया है। महिला की पुष्टि के बाद उसकी गुमशुदगी को लेकर स्वजन की तरफ से दी गई शिकायत पर जांच बद करके इस सबंध में उसकी मां को सूचना दे दी गई थी।
मामले में आगे कोई निर्देश देने की आवश्यकता नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
पुलिस के बयान को देखते हुए पीठ ने कहा कि मामले में आगे कोई निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अदालत ने दिल्ली पुलिस को दंपति को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने व संबंधित पुलिस स्टेशन के एसएचओ को एक बीट अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि किसी भी धमकी की शिकायत पर पुलिस तत्काल सहायता प्रदान करेगी।
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