दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अब रेस्टोरेंट में खाने के बिल के साथ नहीं लगेगा सर्विस चार्ज
दिल्ली हाईकोर्ट ने खाने के बिल के साथ सेवा शुल्क लगाने के खिलाफ दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाले रेस्तरां संघों को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने कहा कि रेस्तरां अनिवार्य रूप से सेवा शुल्क नहीं लगा सकते क्योंकि यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है। अदालत ने सीसीपीए के दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाले रेस्तरां संघों पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। खाने के बिल के साथ सेवा शुल्क नहीं लगाने संबंधी दिशा-निर्देश को चुनौती देने वाले रेस्तरां संघों को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से झटका लगा है।
अब रेस्तरां में नहीं लगेगा सर्विस चार्ज
अदालत ने दिशा-निर्देशों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि खाने के बिलों के साथ रेस्तरां अनिवार्य रूप से सेवा शुल्क नहीं लगा सकते, क्योंकि यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है।
अदालत ने साथ ही रेस्तरां को बिल के साथ सेवा शुल्क नहीं लगाने संबंधी केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के दिशा-निर्देश की वैधता को बरकरार रखा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक लाख का जुर्माना भी लगाया
अदालत ने उक्त निर्देश के साथ ही सीसीपीए के दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाले रेस्तरां संघों पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
कोर्ट ने और क्या कहा?
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायालय ने कहा कि सीसीपीए केवल एक सलाहकार निकाय नहीं है और उसके पास अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार है।
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समाज का हित सर्वोपरि
कोर्ट ने कहा कि एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं के अधिकार रेस्तरां के अधिकारों से अधिक महत्वपूर्ण हैं, इस बात पर जोर दिया कि समाज का हित सर्वोपरि है। न्यायालय ने कहा, "सीसीपीए एक प्राधिकरण है, जिसे सीपीए 2019 के तहत दिशा-निर्देश पारित करने का अधिकार है। दिशा-निर्देश जारी करना सीसीपीए का एक आवश्यक कार्य है। इसका अनिवार्य रूप से अनुपालन किया जाना चाहिए।"
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रेस्तरां निकायों ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के दिशा-निर्देशों को चुनौती दी थी, जिसमें होटलों और रेस्तरां को बिलों पर 'स्वतः या डिफॉल्ट रूप से' सेवा शुल्क लगाने से प्रतिबंधित किया गया था।
पीठ ने लगा दी थी रोक
वहीं, चार जुलाई, 2022 को जारी किए गए दिशा-निर्देशों पर उसी महीने बाद में एक समन्वय पीठ ने रोक लगा दी थी। ऐसा करते समय, न्यायालय ने निर्दिष्ट किया था कि सेवा शुल्क और भुगतान करने के लिए ग्राहक की बाध्यता 'मेनू या अन्य स्थानों पर नियम और प्रमुखता से प्रदर्शित' होनी चाहिए।
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