Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली हाई कोर्ट का केंद्र और RBI को निर्देश, दृष्टिबाधितों की सुविधा के लिए नए नोटों में बदलाव करें

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 05:36 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई को निर्देश दिया कि नए नोट जारी करने से पहले दिव्यांगजनों की समस्याओं का समाधान करें। अदालत ने दिव्यांगों की डिजिटल पहुंच में सुधार पर जोर दिया और आरबीआई को बैंकों से प्रगति रिपोर्ट लेने का आदेश दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समिति के सुझावों का पालन हो रहा है। यह निर्देश दिव्यांगों के लिए दिया गया है।

    Hero Image
    नए नोट छापने से पहले करें दिव्यांगों की समस्याओं का समाधान: हाई कोर्ट

    विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। नोटों की पहचान करने में दिव्यांगों के सामने आने वाली परेशानियों को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया कि वे नए नोट जारी करने या छापने से पहले दिव्यांगजनों या दृष्टिबाधितों के सामने आने वाली कठिनाइयों का समाधान करें। अदालत ने कहा कि आरबीआइ अधिनियम के प्रविधान केंद्र सरकार द्वारा इस देश के सबसे कमजोर नागरिकों में से एक की चिंताओं को दूर करने और उन्हें कम करने के लिए लागू किए गए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बैंकों से छह मासिक रिपोर्ट प्राप्त करनी होंगी

    अदालत द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति और आरबीआई की रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि दिव्यांगों की डिजिटल पहुच से संबंधित समस्याओं और चिंताओं का काफी हद तक समाधान किया गया है।

    ऐसे में समिति के सुझावों के साथ-साथ विभिन्न बैंकों को जारी किए गए उसके अपने सुझावों का ईमानदारी से क्रियान्वयन किया जाए। साथ ही, अदालत ने एक जनहित याचिका पर निर्णय पारित करते हुए कहा कि आरबीआइ को विभिन्न बैंकों से छह मासिक रिपोर्ट प्राप्त करनी होंगी।

    इसमें अंतिम रूप से लागू होने या लक्ष्य प्राप्त करने तक प्रत्येक बैंक द्वारा की गई प्रगति के बारे में बताया जाएगा।

    नोटों में यह बदलाव करने का निर्देश

    अदालत ने उक्त टिप्पणी आदेश विभिन्न याचिकाओं का निपटारा करते हुए दिया। याचिकाकर्ता व अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने 50 रुपये और उससे कम मूल्य के करेंसी नोटों और सिक्कों को दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा आसानी से पहचाने जाने योग्य बनाने के निर्देश देने की मांग की थी।

    समिति के सुझावों को ध्यान में रखें

    इस संबंध में पीठ ने कहा कि आरबीआई द्वारा पेश की गई रिपोर्ट व समिति के सुझावों के अनुसार नोटों को जारी करने में हजारों करोड़ रुपये की भारी लागत आ सकती है और प्रचलित मुद्रा को वापस लेने और नष्ट करने में ही भारी लागत और समय लगेगा। उक्त तथ्यों को देखते हुए निर्देश दिया जाता है कि जब भी भारत सरकार और आरबीआई नई मुद्रा छापने का निर्णय लें, तो वे उच्चाधिकार प्राप्त समिति के सुझावों को ध्यान में रखें।

    यह भी पढ़ें- दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा- दस्तावेज कहां है ? जिसे निरस्त करें... हिंदू से बौद्ध बने लोगों को आरक्षण पर उठाया था सवाल