Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    बारिश में जलभराव और जाम से दिल्ली हो रही परेशान... हाई कोर्ट ने तालमेल में कमी पर एमसीडी-डीजेबी को लगाई फटकार

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 08:30 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी और डीजेबी के बीच तालमेल की कमी पर चिंता जताई है। अदालत ने दिल्ली सरकार से प्रशासन और प्रबंधन को केंद्रीकृत करने पर विचार करने को कहा है। वर्षा जल निकासी और सीवेज लाइनों के उचित रखरखाव के अभाव में दिल्ली में जलजमाव की समस्या बढ़ रही है। अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश दिया कि जरूरत पड़ने पर उपराज्यपाल के समक्ष मामला रखा जाए।

    Hero Image
    सिविक एजेंसियों के बीच व्याप्त है भ्रम, केंद्रीकरण पर विचार करे दिल्ली सरकार: हाई कोर्ट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में बाढ़ से लेकर जलजमाव और जाम की समस्या से मुक्त करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासन और प्रबंधन को केंद्रीकृत करने पर निर्णय लेने को कहा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली नगर निगम (MCD) और दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के बीच तालमेल की कमी और जिम्मेदारियों के अनुचित निर्धारण के कारण व्याप्त भारी भ्रम का अदालत ने संज्ञान लेते हुए अहम सवाल उठाया।

    न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि एक तरफ जहां वर्षा जल निकासी नालियों का प्रबंधन दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधीन है।

    वहीं, सीवेज लाइनें दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अधीन हैं। इससे दोनों लाइनों का रखरखाव नहीं हो पा रहा है और दिल्ली में अत्यधिक जलभराव हो रहा है।

    पीठ ने कहा कि दोनों ही एजेंसियों की रखरखाव वाली किसी भी नाली के पाइप का संबंधित एजेंसी द्वारा उचित प्रबंधन नहीं किया जा रहा है।

    पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि जिम्मेदारी दूसरी एजेंसी पर डाल दी गई है। अब समय आ गया है कि प्रबंधन और प्रशासन के तरीके पर एक व्यापक निर्णय ले। ऐसे में इस आदेश को दिल्ली के मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    ताकि संबंधित सरकारी अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करे निर्णय लिया जा सके। पीठ ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर मामला दिल्ली के उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

    पीठ ने महारानी बाग मामले पर लोक निर्माण विभाग और एमसीडी को निर्देश दिया कि वे दो अगस्त को स्थल निरीक्षण करने के बाद निवासियों के साथ बैठक करें। साथ ही निर्देश दिया कि समस्या के समाधान के प्रयासों पर एक संयुक्त स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें।

    अदालत ने उक्त निर्देश महारानी बाग रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दायर एक नई याचिका पर दिया। इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की कार्रवाई के कारण एक नई समस्या उत्पन्न हो गई है।

    दिल्ली में मानसून और वर्ष के अन्य समय में यातायात जाम को कम करने के अलावा जलभराव और वर्षा जल संचयन से संबंधित दो स्वतः संज्ञान याचिकाओं पर अदालत सुनवाई कर रही है।

    पीठ ने कहा कि अधिकांश काॅलोनियों में वर्षा जल निकासी नालियों को निवासियों या निर्माण कार्यों द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है, जिससे वे लगातार जाम हो रही हैं।

    अदालत को बताया गया कि रिंंग रोड की दीवारों में कुछ कुओं के निशान या छिद्र किए गए हैं, इससे होकर पानी महारानी बाग कालोनी में बहकर आता है और इलाके में बाढ़ आ जाती है।

    वहीं, पीडब्ल्यूडी ने तर्क दिया कि ये नए छिद्र नहीं थे, बल्कि पहले से मौजूद कुओं के निशान थे जिन्हें निवासियों ने बंद कर दिया था और अब खोल दिया गया है।

    अदालत को बताया गया कि यह सड़क पहले पीडब्ल्यूडी के पास थी और अब एमसीडी के पास है। इस पर पीठ ने कहा कि निवासियों की याचिका कई एजेंसियों के काम करने के कारण दिल्ली भर में व्याप्त उदासीनता को दर्शाती है।

    अदालत ने कहा कि एमसीडी, पीडब्ल्यूडी, डीजेबी, डीडीए, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग सहित एजेंसियों को अपने समक्ष बुलाना होगा ताकि आम सहमति बन सके और उसके निर्देशों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हो सके।

    पीठ ने कहा कि इन एजेंसियों के बीच भारी भ्रम की स्थिति है और जिम्मेदारियों के अनुचित निर्धारण के कारण ज्यादातर मौकों पर जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल दी जाती है।

    यह भी पढ़ें- बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर में घोटाले की जांच करेगी ACB, सवालों के घेरे में 175 करोड़ का भुगतान