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    बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर में घोटाले की जांच करेगी ACB, सवालों के घेरे में 175 करोड़ का भुगतान

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 08:19 PM (IST)

    दिल्ली सरकार ने बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना में 175 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं की जांच एसीबी को सौंप दी है। मुख्यमंत्री ने पिछली आप सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी 35 करोड़ में विवाद निपटाने को तैयार थी लेकिन 175 करोड़ दिए गए। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। परियोजना का 87% काम पूरा हो चुका है शेष कार्य शीघ्र पूरा किया जाएगा।

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    निर्माणाधीन बारापुला ऐलिवेटेड परियोजना की जांच करेगी एसीबी।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: निर्माणाधीन बारापुला एलिवेटेड काॅरिडोर फेज-तीन परियोजना में हुईं वित्तीय अनियमितताओं को लेकर दिल्ली सरकार ने सोमवार को बड़ा फैसला लिया।

    सरकार ने तय किया है कि इस परियोजना में निर्माणकर्ता कंपनी को भुगतान किए गए 175 करोड़ रुपये के मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) करेगी।

    सरकार को आशंका है कि पूर्व की आप सरकार और लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों को मिलीभगत और लापरवाही के कारण यह राशि कंपनी को दी गई है।

    भाजपा सरकार की मानें तो उस समय निर्माणकर्ता कंपनी 35 करोड़ रुपये लेकर विवाद निपटाने को तैयार थी, मगर आप सरकार ने पैसे नहीं दिए और बाद में इसी मामले में आप सरकार ने कंपनी को 175 करोड़ का भुगतान किया।

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    इस उच्चस्तरीय बैठक में पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा सहित अन्य मंत्री के अलावा संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

    बता दें कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में सोमवार को वित्त व्यय समिति की बैठक में निर्माणाधीन बारापुला ऐलिवेटेड काॅरिडोर फेज-तीन की समीक्षा की गई।

    निर्माण में बरती गईं अनियमितताओं और ठेकेदार कंपनी को 175 करोड़ का भुगतान करने की जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से कराने का निर्णय लिया गया।

    इस परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।

    इस परियोजना के तहत मयूर विहार फेज-एक के सामने से सराय काले खां तक करीब साढ़े तीन किलोमीटर एलिवेटेड काॅरिडोर बनाया जा रहा है।

    सीएम ने कहा है कि यह परियोजना शीघ्र ही गति पकड़ लेगी, क्योंकि परियोजना के मार्ग के आने वाले पेड़ों को हटाने का अनुमति जल्द मिलने वाली है।

    परियोजना के पूरी होने पा मयूर विहार एक से लेकर एम्स पर सिग्नल फ्री काॅरिडोर जनता को मिल सकेगा।

    बैठक के बाद सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि यह परियोजना भी पिछली आप सरकार के भ्रष्टाचार और घोर लापरवाही का एक और उदाहरण है।

    उन्होंने बताया कि इस परियोजना को अक्तूबर 2017 में पूरा हो जाना था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह परियोजना पिछड़ती गई।

    मामला आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता) में चला गया, जहां से कंपनी के पक्ष में आए फैसले में उसे 120 करोड़ रुपये अदा करने के लिए कहा गया, लेकिन जब कंपनी को यह राशि अदा नहीं की गई तो वह हाई कोर्ट में चली गई।

    मई 2023 में कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी को ब्याज व जीएसटी समेत 175 करोड़ रुपये अदा करने का आदेश दिया। यह राशि कंपनी को अदा कर दी गई।

    सीएम के अनुसार पिछली सरकार के भ्रष्टाचार का आलम यह था कि उसने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर नहीं की और न ही अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।

    मुख्यमंत्री के अनुसार जांच से यह भी पता चला है कि उस दौरान ठेकेदार कंपनी चाहती थी कि उसे 35 करोड़ रुपये ही मिल जाए तो वह विवाद को आगे नहीं बढ़ाएगी, लेकिन उसे यह राशि अदा नहीं की गई, जिसके बाद विवाद हाई कोर्ट तक पहुंच गया।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अनियमितता में पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के भी संलिप्त होने की संभावना हैं। सतर्कता जांच में उनके कार्यकलापों की भी जांच कराने का निर्णय लिया गया है।

    मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस जांच में परियोजना किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होगी और इसे तय समय पर पूरा कर लिया जाएगा।

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