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    Terror Funding: मनी लाॅन्ड्रिंग के मामले में कश्मीरी नेता शब्बीर शाह की पत्नी की याचिका पर ईडी से मांगा जवाब

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 08:53 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की पत्नी बिलकिस शाह की याचिका पर ईडी से जवाब मांगा है। बिलकिस पर मोहम्मद असलम वानी से 2.08 करोड़ रुपये लेने का आरोप है। अदालत ने सुनवाई 26 सितंबर तक स्थगित कर दी। बिलकिस के वकील ने आरोपों को निराधार बताया और मनी लांड्रिंग की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की।

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    टेटर फंडिंग से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में शब्बीर शाह की पत्नी की याचिका पर कोर्ट ने मांगा जवाब।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: टेरर फंडिंग से जुड़े 2007 के मनी लाॅन्ड्रिंग मामले को रद करने की मांग को लेकर कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की पत्नी बिलकिस शाह ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की है।

    उनके आवेदन पर दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने ईडी को नोटिस जारी कर सुनवाई 26 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

    बिलकिस पर सह-आरोपित मोहम्मद असलम वानी से 2.08 करोड़ रुपये प्राप्त करने का आरोप है।बिलकिस की तरफ से पेश वकील एमएस खान ने कहा कि जिस आधार पर ईडी ने वर्तमान एफआईआर दर्ज की है, वह वानी के खिलाफ है।

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    जबकि, इस मामले में नवंबर 2010 में एक ट्रायल कोर्ट ने हथियार रखने के अलावा सभी अपराधों से बरी कर दिया था। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2017 में ट्रायल कोर्ट के 2010 के आदेश को बरकरार रखा था।

    उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और अपराध सिद्ध नहीं होता है। ऐसे में मनी लांड्रिंग के तहत संबंधित कार्यवाही भी विफल हो जाती है।

    हाई कोर्ट ने वानी की इसी तरह की एक याचिका पर 23 जुलाई को ईडी को नोटिस जारी किया था। वानी और शब्बीर शाह के खिलाफ जनवरी 2017 में आरोप तय किए गए थे और बाद में 2021 में मामले में एक पूरक आरोपपत्र द्वारा बिलकिस को आरोपित बनाया गया था।

    खान ने कहा कि लगभग सात साल की सुनवाई के बावजूद 33 गवाहों में से केवल चार की ही गवाही हुई। दोनों के खिलाफ ईडी की कार्रवाई अगस्त 2005 के एक मामले से संबंधित थी।

    इसमें दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने वानी नामक एक डीलर को गिरफ्तार किया था और उसने दावा किया था कि उसने बिलकिस शाह को 2.25 करोड़ रुपये दिए थे।

    2010 में एक ट्रायल कोर्ट ने वानी को आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोपों से मुक्त कर दिया था, लेकिन उसे शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था।

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