HC ने पति-पत्नी को प्रेमी-प्रेमिका से हर्जाना वसूलने की मंजूरी दी, शादी में अड़ंगा डालने वालों के काटे 'पर'
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि विवाह में जानबूझकर हस्तक्षेप करने पर हर्जाना देना पड़ सकता है। अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़ित पति या पत्नी अपने प्रेमी-प्रेमिका से हर्जाना मांगने के लिए दीवानी मुकदमा दायर कर सकते हैं। अदालत ने स्नेह के अलगाव की अवधारणा पर विचार करते हुए मुकदमे को स्वीकार्य माना और पति व उसकी प्रेमिका को समन जारी किया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। विवाह में जानबूझकर हस्तक्षेप करना प्रेमी और प्रेमिका को भारी पड़ सकता है। ऐसे ही एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि शादी में हस्तक्षेप करने पर पति या पत्नी अपने प्रेमी-प्रेमिका से हर्जाना मांगने के लिए सिविल मुकादमा करते हुए हर्जाना की मांग कर सकते हैं। अदालत ने स्नेह के अलगाव की नवीन अवधारणा पर विचार करते हुए इस तरह के मुकदमे को स्वीकार्य माना। उक्त टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ ने कहा कि ऐसा मुकदमा पारिवारिक न्यायालय में नहीं, बल्कि दीवानी न्यायालय में दायर किया जा सकता है।
गलत तरीके से हस्तक्षेप नहीं
मुकदमे की स्वीकार्यता पर आपत्तियों को खारिज करते हुए पीठ ने पत्नी के मुकदमे में पति और उसकी प्रेमिका को समन जारी किया। अदालत ने कहा कि किसी तीसरे पक्ष को विवाह में जानबूझकर और गलत तरीके से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जिससे किसी का स्नेह कम हो जाए।
एक करोड़ का हर्जाना मांगा
अदालत ने कहा कि पति या पत्नी के पास व्यक्तिगत निर्णय लेने की अंतर्निहित स्वतंत्रता होती है। अदालत ने उक्त टिप्पणी एक महिला द्वारा दायर मुकदमे पर सुनवाई करते हुए की। याचिका के अनुसार महिला की 2012 में प्रतिवादी से शादी हुई थी और उनके दो बच्चे हैं। वर्ष 2023 में महिला को पति के अवैध संबंध की जानकारी मिली थी। महिला ने अपने पति की कथित प्रेमिका के खिलाफ 1 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है।
खुलेआम अपमानित करने लगा
महिला ने यह तर्क देते हुए हर्जाना देने की मांग की थी कि वह अपने पति के स्नेह और साथ की हकदार थी, लेकिन उसकी प्रेमिका के कारण यह हक छिन गया था। महिला ने आरोप लगाया कि दूसरी महिला ने जानबूझकर उसके वैवाहिक संबंध में हस्तक्षेप किया, जिससे उसका संबंध टूट गया। महिला का कहना था कि टकराव होने पर उसके पति ने महिला से अवैध संबंध समाप्त करने से इन्कार कर दिया और सामाजिक समारोहों में खुलेआम उक्त महिला के साथ जाकर उसे अपमानित करने लगा।
तलाक के लिए अर्जी दी
उस समय तक उसके पति ने तलाक के लिए अर्जी दी थी। वहीं, महिला के पति व अन्य महिला ने याचिका के आधार पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह विवाद वैवाहिक संबंध से उत्पन्न हुआ है और पारिवारिक न्यायालय अधिनियम की धारा-सात का हवाला देते हुए पारिवारिक न्यायालय के अनन्य अधिकार क्षेत्र में आता है।
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