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    Delhi News: 'अवैध बोरवेल के जरिए पानी निकालना किसी पाप से कम नहीं', हाईकोर्ट ने बताई वजह

    By Vineet Tripathi Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Sun, 13 Apr 2025 05:41 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने अवैध बोरवेल के माध्यम से पानी निकालने को पाप बताया है। कोर्ट ने कहा कि अगर इन्हें रोका नहीं गया तो दिल्ली में जोहान्सबर्ग जैसी स्थिति हो सकती है जहां पानी का गंभीर संकट था। कोर्ट ने एमसीडी डीजेबी और एसएचओ को संयुक्त सर्वेक्षण कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है और अवैध बोरवेल पाए जाने पर कार्रवाई करने को कहा है।

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    अवैध बोरवेल से पानी निकालना पाप से कम नहीं: हाईकोर्ट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अवैध बोरवेल से जुड़े मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अवैध बोरवेल के जरिए पानी निकालना किसी पाप से कम नहीं है और इस पर किसी न किसी तरह से रोक लगनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अगर अवैध बोरवेल नहीं रोके गए तो दिल्ली में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

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    हाईकोर्ट ने बताई वजह

    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिकारियों से मौखिक रूप से पूछा कि क्या आपको पता है कि कुछ साल पहले दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में क्या हुआ था? शहर में कई महीनों तक पानी नहीं आया था और लोगों को पानी का बड़ा संकट झेलना पड़ा था।

    पीठ ने पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि दिल्ली में भी ऐसी स्थिति पैदा हो? कोर्ट ने अधिकारियों से सवाल किया कि वे निर्माण के लिए बोरवेल की अनुमति कैसे दे सकते हैं।

    कोर्ट ने अधिवक्ता सुनील कुमार शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। याचिका में दावा किया गया है कि रोशनआरा इलाके में गोयनका रोड पर निर्माणाधीन एक इमारत में अवैध रूप से कई बोरवेल या सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं।

    याचिका में बोरवेल हटाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा है कि इमारत में छह बोरवेल लगे पाए गए। जबकि, दरियागंज के एसडीएम ने आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा है कि इमारत में तीन बोरवेल पाए गए, जिन्हें सील कर दिया गया है।

    कोर्ट ने इन विभागों को दिए निर्देश

    तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने एमसीडी, डीजेबी और इलाके के एसएचओ को 10 दिन के अंदर संपत्ति का संयुक्त सर्वेक्षण कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया। पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि अगर साइट पर कोई अवैध बोरवेल चलता पाया जाता है तो उचित कार्रवाई की जाए।

    याचिका में दावा किया गया है कि इमारत का मालिक भूखंड पर करीब 100 फ्लैट बना रहा है और बोरवेल न सिर्फ इलाके के निवासियों को काफी नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच सकता है। याचिका में कहा गया कि इस संबंध में अधिकारियों को ज्ञापन दिया जा चुका है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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