Delhi News: मेधा पाटकर को दी गई सजा पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इनकार, LG वीके सक्सेना ने दायर किया था केस
दिल्ली हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को मानहानि मामले में दी गई सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 2001 में अहमदाबाद की कोर्ट में मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था। निचली अदालत ने मेधा पाटकर को एक साल के लिए अच्छे आचरण के लिए परिवीक्षा पर रिहा करने का निर्देश दिया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मानहानी मुकदमे में ट्रायल कोर्ट द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दी गई सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में दायर किया था।
हाईकोर्ट ने उन्हें निचली अदालत में जाने को कहा है। निचली अदालत ने उन्हें एक साल के लिए अच्छे आचरण के लिए परिवीक्षा पर रिहा करने का निर्देश दिया था। उन्हें परिवीक्षा बांड भरने को कहा गया था। मामला कल साकेत कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध है।
वीके सक्सेना पर लगाया था हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप
उल्लेखनीय है कि 25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने एक बयान में वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था। मेधा पाटकर ने कहा था वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे। तब वीके सक्सेना अहमदाबाद स्थित काउंसिल फार सिविल लिबर्टीज नामक एनजीओ के प्रमुख थे।
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मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था। गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में मामले को सुनवाई के लिए गुजरात से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था।
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